वैश्विक स्तर पर जारी कोरोना महामारी के कारण संक्रमण की गंभीरता और लॉन्ग कोविड, दोनों ही बड़ी समस्याएं बनी हुई हैं। कोरोना के म्यूटेटेड वैरिएंट्स एक तरफ जहां लोगों में गंभीर रोगों का कारण बन रहे हैं, वहीं कुछ लोगों में संक्रमण से ठीक होने के एक-दो साल बाद तक भी पोस्ट कोविड की समस्या बनी हुई देखी जा रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप संक्रमण के दौरान एसिम्टोमैटिक ही रहे हैं, तो भी ठीक होने के बाद किसी समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए। लॉन्ग कोविड के जोखिमों को जानने के लिए शोधकर्ताओं ने हाल ही में किए एक शोध में चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं।
लॉन्ग कोविड से ठीक होने में लग सकता है लंबा समय
चीन के वुहान शहर स्थित जिन-इन टैन हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं द्वारा लॉन्ग कोविड के जोखिमों को जानने के लिए किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि कोरोना का संक्रमण लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से प्रभावित कर रहा है। लॉन्ग कोविड के खतरे से उबरने में कई लोगों को दो साल से भी अधिक का समय लग जा रहा है।
पोस्ट कोविड सिंड्रोम के खतरे को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि रोगी और चिकित्सक, दोनों को पोस्ट कोविड के लक्षणों को लेकर विशेष सतर्कता दिखाने और समय पर उपचार की तत्काल आवश्यकता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
शोधकर्ताओं की टीम ने लॉन्ग कोविड के जोखिम और इसकी गंभीरता को जानने के लिए 7 जनवरी से 29 मई, 2020 के बीच कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हुए 1,192 प्रतिभागियों के डेटा का अध्ययन किया। विशेषज्ञों ने कई स्तर पर किए गए इस विश्लेषण के दौरान पाया कि करीब 55 फीसदी लोगों में संक्रमण के दो साल बाद तक कोई न कोई समस्या बनी हुई थी। 68 फीसदी लोगों ने छह महीने बाद तक कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में सूचित किया।
लॉग कोविड की प्रमुख समस्याएं
अध्ययन के आधार पर शोधकर्ता बताते हैं कि थकान या मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या लॉन्ग कोविड में सबसे प्रमुख रूप से रिपोर्ट की जा रही है। संक्रमण से ठीक हो चुके 52 फीसदी लोगों में इस तरह की दिक्कत छह महीने, वहीं 30 फीसदी लोगों में यह दो साल से अधिक समय तक देखी जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉन्ग कोविड में कुछ लोगों को गंभीर लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है, जिसके बारे में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
यूके स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर के प्रमुख राहेल इवांस कहते हैं, इस अध्ययन में लॉन्ग कोविड के जोखिमों के बारे में विस्तार से पता चलता है। संक्रमण के दौरान अस्पताल में भर्ती रह चुके लोगों के पांच महीने से एक साल तक में पूरी तरह से ठीक होने के आंकड़े कम देखे गए हैं। ज्यादातर लोगों में दो साल तक भी समस्याएं बनी रह सकती हैं। लॉन्ग कोविड मानसिक स्वास्थ्य, ऑर्गन डैमेज और जीवन की गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं का कारण भी बनता हुआ देखा जा रहा है।
अध्ययन का निष्कर्ष?
लीसेस्टर यूनिवर्सिटी के प्रमुख और अध्ययन के सह-लेखर क्रिस्टोफर ब्राइटलिंग कहते हैं, कोविड-19 में सिर्फ संक्रमण के दौरान ही नहीं, ठीक होने के बाद भी सेहत को लेकर लोगों को विशेष अलर्ट रहने की आवश्यकता है। लॉन्ग कोविड कई तरह की दीर्घकालिक स्थितियों का कारण बनता देखा जा रहा है। बिना प्रभावी उपचार के इन समस्याओं से निजात पाना कठिन हो सकता है। ऐसे में आवश्यकता है कि संक्रमण से रिकवरी के बाद लक्षणों को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए।
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