उत्तराखंड के निजी कॉलेजों में पढ़ाई महंगी होने वाली है। निजी कॉलेजों ने फीस निधारण कमेटी को फी स्ट्रक्चर जमा कर दिया है। फीस बढ़ाने के पीछे तर्क दिया गया है कि पिछले चार सालों से फीस नहीं बढ़ी है।
उत्तराखंड में अगले सत्र से निजी कॉलेजों में पढ़ना महंगा हो सकता है। निजी कॉलेजों ने फीस निर्धारण कमेटी के सामने अपना फीस स्ट्रक्चर देना शुरू कर दिया है। कॉलेजों ने पिछले चार साल से फीस न बढ़ने का तर्क देते हुए इसमें औसत 15 तक की वृद्धि की मांग की है। उत्तराखंड की शुल्क निर्धारण कमेटी ने कॉलेजों से फीस स्ट्रक्चर का प्रस्ताव मांगा है। 65 कॉलेज और दो निजी यूनिवर्सिटी ने अपना फीस स्ट्रक्चर कमेटी को सौंप दिया है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार कई कॉलेजों ने 15 फीसदी तक शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। कॉलेजों का कहना है कि उन्होंने पिछले चार-पांच साल से फीस नहीं बढ़ाई है, ऐसे में अब वृद्धि बेहद जरूरी है।
इस संबंध में नोडल अधिकारी डॉ. रचना नौटियाल ने बताया कि सत्र शुरू होने से पहले फीस तय कर दी जाएगी। एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि यूजीसी के मानकों के अनुसार स्टाफ को वेतन और सुविधाएं देने पर फीस तय की जाती है।
लेकिन फीस इस अनुपात में तय होती नहीं है, ऐसे में मानक बदलने चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि कोविड के कारण बीते दो सत्र में कॉलेजों को पूरी फीस नहीं मिली। कॉलेज अपना प्रस्ताव कमेटी के सामने रख रहे हैं, जो तय होगा उसका पालन किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज एडवांस मांग रहे फीस – कमेटी के सामने देहरादून के एक मेडिकल कॉलेज द्वारा आगामी सत्र के लिए जुलाई में मांगी जाने वाली फीस अभी से मांगे जाने की शिकायत आई। यही नहीं लेट फीस देने वाले छात्रों पर कॉलेज ने प्रतिदिन एक हजार रुपये का जुर्माना लगाना भी शुरू कर दिया है। कमेटी इस मामले में कॉलेज को नोटिस भेजने जा रही है।
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