बाल श्रम की सबसे बड़ी वजह ही गरीबी है। जिससे मजबूर होकर बच्चों को मजदूरी करना पड़ता हैै। गरीबी को पूरी तरह मिटाने में अभी और कई साल लगने वाले हैं लेकिन बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए कई संगठन कोशिश कर रहे हैं और कुछ हद तक कामयाब भी हुए हैं।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का इतिहास– अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद साल 2002 में सर्वसम्मति से एक ऐसा कानून पारित हुआ जिसके तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी करवाना अपराध माना गया। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) के 187 सदस्य देश हैं। ILO ने विश्व में श्रम की स्थितियों में सुधार के लिए कई सम्मेलनों को पारित किया है। और तो और यह मजदूरी, काम के घंटे, अनुकूल वातावरण इत्यादि मामलों पर भी जरूरी गाइडलाइंस देता रहता है। 1973 में, ILO सम्मेलन संख्या 138 को अपनाकर रोजगार के लिए न्यूनतम आयु पर लोगों का ध्यान केंद्रित किया गया। जिसका मकसद सदस्य राज्यों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल मजदूरी को समाप्त करना था।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का महत्व- गरीबी सबसे बड़ी है बाल श्रम की, जिसकी वजह से बच्चे शिक्षा का ऑप्शन छोड़कर मजबूरी वश मजदूरी करना चुनते हैं।इसके अलावा, कई सारे बच्चों को संगठित अपराध रैकेट द्वारा भी बाल श्रम के लिए मजबूर किया जाता है। तो इस दिन को विश्व स्तर पर मनाए जाने का उद्देश्य इन्हीं चीज़ों के ऊपर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, जिससे बच्चों को बाल श्रम से रोका जा सके।
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