जल विद्युत परियोजना मनेरी भाली-2 की सुरंग से रिसाव का ट्रीटमेंट परियोजना प्रबंधन के लिए चुनौती बन गया है। पिछले वर्ष करीब 76 लाख की लागत से सुरंग का ट्रीटमेंट किया गया था, लेकिन रिसाव की समस्या जस की तस है। अब एक बार फिर ट्रीटमेंट के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
मार्च 2008 में उत्पादन के लिए तैयार हुई मनेरी भाली परियोजना की अधिकतम उत्पादन क्षमता 304 मेगावाट है। जोशियाड़ा बैराज से करीब 16 किमी लंबी सुरंग के जरिए धरासू पावर हाउस तक पानी पहुंचाया जाता है। सुरंग में गमरी गाड के समीप पिछले डेढ़ सालों से रिसाव हो रहा था। परियोजना प्रबंधन ने पिछले वर्ष करीब 76 लाख की लागत से साइड सुरक्षा एवं ग्राउटिंग कार्य किया था। इससे उक्त स्थान पर रिसाव तो बंद हुआ, लेकिन कुछ समय बाद 6 से 7 मीटर अपस्ट्रीम की ओर रिसाव होना शुरू हो गया।
बीते 28 मार्च को जल विद्युत निगम की ओर से चार सदस्यीय विशेषज्ञ दल ने रिसाव स्थल का निरीक्षण किया। विशेषज्ञ दल ने निरीक्षण के आधार पर रिसाव स्थल पर सुरंग के आसपास ड्रिलिंग, ग्राउटिंग व जियोफिजिक कार्य करने के साथ ही हिलस्लोप कार्य करने का सुझाव दिया है। जल विद्युत निगम अब एक बार फिर ट्रीटमेंट कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया को अंतिम रूप दे रहा है। संवाद
अब साढ़े चार करोड़ से होगी मरम्मत
अब जल विद्युत निगम साढ़े चार करोड़ से रिसाव का मरम्मत कार्य करेगा। इसके तहत चार करोड़ की लागत से ग्राउटिंग, ड्रिलिंग व जियोफिजिक कार्य होने हैं और 60 लाख की लागत से रिसाव वाले स्थान के ऊपरी छोर पर हिल स्लोप वर्क (पहाड़ी से गिरते मलबे को रोकना) किया जाना है।
– सुरंग के रिसाव से फिलहाल उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। अगर सुरंग से और अधिक रिसाव बढ़ता है, तो उत्पादन के साथ-साथ रिसाव वाले जगह के आसपास के क्षेत्र में नुकसान होने की संभावना भी है। रिसाव रोकने के लिए विशेषज्ञों के अनुसार ट्रीटमेंट कार्य (सुरक्षात्मक कार्य) शुरू किया जा रहा है। वर्तमान में टनल में 143 क्यूसेक पानी आ रहा है। 0.83 क्यूसेक पानी का रिसाव हो रहा है।
– विमल डबराल, जनसंपर्क अधिकारी, जल विद्युत निगम उत्तराखंड।
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