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ट्रैवल हिस्ट्री का इंतजार कर रहे अफसर, हिमाचल में अभी नहीं होता मंकीपॉक्स का टेस्ट

हिमाचल  मंकी पॉक्स वायरस की चपेट में आए मनाली से घूमकर दिल्ली लौटे व्यक्ति के संपर्क में अगर प्रदेश का कोई व्यक्ति आया होगा तो परेशानियां बढ़ सकती हैं। सैंपल जांच के लिए पुणे भेजने और वहां से रिपोर्ट आने में लगने वाले समय के कारण परेशानियां बढ़ सकती हैं।

विस्तार

हिमाचल प्रदेश में मंकी पॉक्स वायरस से निपटने के लिए सरकार के प्रबंध नाकाफी हैं। मंकी पॉक्स वायरस के नमूने जांचने को प्रदेश में कोई लैब तक उपलब्ध नहीं है। ब्लड सैंपल जांचने के लिए पुणे भेजने होंगे। मंकी पॉक्स वायरस की चपेट में आए मनाली से घूमकर दिल्ली लौटे व्यक्ति के संपर्क में अगर प्रदेश का कोई व्यक्ति आया होगा तो परेशानियां बढ़ सकती हैं। सैंपल जांच के लिए पुणे भेजने और वहां से रिपोर्ट आने में लगने वाले समय के कारण परेशानियां बढ़ सकती हैं। प्रदेश के प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभाशीष पंडा ने बताया कि राज्य में मंकी पॉक्स वायरस जैसे वायरस से निपटने के लिए सर्विलांस टीमें पहले से ही गठित रहती हैं। अगर ऐसा कोई मामला सामने आता है तो तत्काल प्रभाव से यह टीमें सक्रिय हो जाएंगी।

संक्रमित के संपर्क में आने के 21 दिन में दिखते हैं लक्षण

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मंकी पॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, त्वचा पर चकते, चेहरे, हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक पड़ते हैं। वायरस से संक्रमित व्यक्ति को सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट, गले में खराश और खांसी आती है। वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 21 दोनों में अगर इनमें से कोई लक्षण दिखाई देता है तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें। मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को कई अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं। आंख में दर्द या धुंधला दिखना, सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, पेशाब कम आना, बार-बार बेहोश होना और दौरे पड़ना जैसे दिक्कतें आती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार जिन लोगों की इम्युनिटी कम होती है, उन्हें अधिक जोखिम होने की संभावना रही है।

मानव चेचक के समान दुर्लभ वायरस है मंकी पॉक्स

मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरस है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकी पॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में होता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क करते रहे अफसर, नहीं मिली कोई पुख्ता सूचना
शिमला। मंकी पॉक्स वायरस को लेकर हिमाचल प्रदेश में रविवार दोपहर बाद से हड़कंप की स्थिति बनी रही। राज्य सचिवालय से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी हिमाचल से लौटे व्यक्ति को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय से जानकारी जुटाते रहे, लेकिन कोई भी पुख्ता सूचना नहीं मिली। इस व्यक्ति के नाम-पते और हिमाचल में ठहरने को लेकर राज्य सरकार दिल्ली से जानकारी आने के इंतजार में है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन के अधिकारी इस बाबत स्वास्थ्य मंत्रालय के संपर्क में है।

मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं : सैजल
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने बताया कि हिमाचल से घूम कर लौटे दिल्ली के व्यक्ति को मंकी पॉक्स होने की उन्हें जानकारी नहीं है। विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि वे अभी शिमला से बाहर हैं।

अधिकारियों को कर दिया है सतर्क : सुभाशीष
प्रधान सचिव स्वास्थ्य सुभाशीष पंडा ने बताया कि प्रदेश में मंकी पॉक्स के सैंपल जांचने की व्यवस्था नहीं है। ब्लड सैंपल जांच के लिए पुणे भेजे जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है। पड़ताल जारी है।

 

आईजीएमसी में नहीं है मंकीपॉक्स मरीजों के लिए अलग से आईसोलेशन की व्यवस्था

वहीं, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में मंकीपॉक्स मरीजों के लिए इलाज की व्यवस्था तक नहीं है। अस्पताल में अगर कोई मरीज आता भी है तो मरीज के उपचार के लिए अलग से आईसोलेशन वार्ड तक नहीं बना है। चूंकि बीमारी का संक्रमण गंभीर हो सकता है तो ऐसे में प्रबंधन द्वारा इस तरह की बीमारियों को लेकर पहले से कोई इंतजाम न होने प्रबंधन की खामियों को सामने लाता है। हालांकि अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. साद रिजवी ने बताया कि अभी सरकार की ओर से इसको लेकर गाइडलाइन नहीं आई है।

गाइडलाइन आने के बाद ही व्यवस्था बनाई जाएंगी। कोरोना महामारी के दौरान प्रबंधन ने मरीजों के लिए अस्पताल में गंभीर रोगियों के लिए अलग से आईसोलेशन वार्ड की व्यवस्था की थी। चूंकि कोरोना बीमारी के बाद कई मरीजों को ब्लैक फंगस हुआ था तो अलग से आईसोलेशन की व्यवस्था की थी। लेकिन मौजूदा समय में इस तरह की किसी भी गंभीर बीमारी के लिए अस्पताल प्रबंधन ने ऐतिहात कदम नहीं उठाए है। visit this site

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