सीबीआइ कोर्ट: चारा घोटाला के पांचवें मामले में राजद सुप्रीमो लालू यादव समेत 75 दोषी, पहले जेल फिर रांची रिम्स भेजे गए.
सीबीआइ कोर्ट का फैसला चारा घोटाला में लालू यादव दोषी करार
लालू प्रसाद चारा घोटाले के पांचवें मामले में भी दोषी पाए गए हैं। इससे पूर्व चारा घोटाले के अन्य चार मामलों में भी दोषी पाकर उन्हें अदालत ने साढ़े तीन साल से लेकर 14 साल तक सजा सुनाई है। वर्तमान में चार मामलों में वह जमानत पर हैं। आधी सजा यानि साढ़े तीन साल जेल में गुजारने और स्वास्थ्य कारणों से उन्हें झारखंड हाई कोर्ट से राहत मिली थी। दोषी करार दिए जाने के बाद वह न्यायिक हिरासत में ले लिए गए, जिसके बाद पहले वह बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार फिर स्वास्थ्य कारणों से राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) भेज दिए गए। करीब साढ़े नौ महीने बाद लालू फिर न्यायिक हिरासत में हैं।
तीन से दस साल के बीच हो सकती है सजा:
फैसला सुनाते हुए अदालत ने छह महिला सहित 24 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले में कुल 10 महिला समेत 99 अभियुक्त मुकदमे का सामना कर रहे थे। अदालत ने तीन स्तरों पर फैसला सुनाया। सबसे पहले अभियुक्तों का नाम पुकारा। इसके बाद पहले स्तर पर बरी किए गए 24 अभियुक्तों का नाम पढ़ा। दूसरे स्तर में तीन साल की सजा पाने वालों नाम पढ़ा गया। तीसरे स्तर में शेष बचे 40 अभियुक्तों को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजने का निर्देश दिया। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार उन्हें पूर्व में जैसी सजा सुनाई गई है और उन पर जो धाराएं हैं, उसके आधार पर उन्हें तीन से दस साल के बीच की सजा हो सकती है।
जेल अधीक्षक के निर्णय पर रिम्स पहुंचे लालू यादव:
कड़ी सुरक्षा के बीच लालू बुलेट प्रूफ गाड़ी से सीबीआइ कोर्ट में पेश होने पहुंचे थे। चारा घोटाला में दोषी करार दिए जाने के बाद लालू प्रसाद, डा. आरके राणा एवं डा केएम प्रसाद की ओर से खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अदालत में आवेदन दिया गया। अदालत ने दोपहर बाद दो बजे आवेदन पर सुनवाई करते हुए जेल अधीक्षक को परिस्थिति के अनुसार चिकित्सक सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। इसके बाद लालू प्रसाद यादव कोर्ट से सीधे जेल पहुंचे और वहां औपचारिकता पूरी करने बाद जेल प्रशासन ने उन्हें रिम्स भेज दिया। रिम्स में उन्हें पेइंग वार्ड के पहले तल्ले में ए-11 काटेज में रखा गया है।
लालू को पूर्व में जिन चार मामलों में सजा सुनाई गई
आरसी 20ए/96, चाईबासा ट्रेजरी का पहला केस : 37.70 करोड़ गबन का मामला। एक अक्तूबर 2013 को पांच साल की सजा हुई।
आरसी 64ए/96, देवघर ट्रेजरी केस : 90 लाख रुपये की अवैध निकासी का मामला। छह जनवरी 2018 को लालू समेत 16 को साढ़े तीन साल जेल की सजा सुनाई गई।
आरसी 68ए/96, चाईबासा ट्रेजरी का दूसरा केस : 33.61 करोड़ का गबन का मामला। 24 जनवरी 2018 को लालू को पांच साल की सजा सुनाई गई।
आरसी 38ए/96, दुमका ट्रेजरी केस : 3.31 करोड़ की अवैध निकासी का मामला। 24 मार्च 2018 को लालू को 7-7 साल की सजा सुनाई गई। दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी। यानी कुल 14 साल की सजा हुई।
चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में सीबीआइ कोर्ट ने बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद सहित 75 अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। सीबीआइ के विशेष जज एसके शशि की अदालत ने मंगलवार को 99 अभियुक्तों में चार महिला सहित 35 को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई। वहीं, लालू प्रसाद, पूर्व सांसद डा. आरके राणा समेत 40 की सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तिथि निर्धारित की। उम्मीद जताई जा रही है कि सजा के बिंदु पर सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होगी।
ये लोग हुए बरी
जिन लोगों को बरी किया गया है उनमें राजेन्द्र पांडे, साकेत, दिनांनाथ सहाय, रामसेवक साहू, अईनुल हक, सनाउल हक, मो एकराम, मो हुसैन, शैरो निशा, कलसमनी कश्यप, बलदेव साहू, रंजीत सिन्हा, अनिल कुमार सिन्हा (सप्लायर), निर्मला प्रसाद, कुमारी अनिता प्रसाद, रामावतार शर्मा, श्रीमती चंचला सिंह, रमाशंकर सिन्हा, बसन्त, सुलिन श्रीवास्तव, हरीश खन्ना, मधु, डॉ कामेस्वर प्रसाद शामिल हैं
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