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Eyelashes: झड़ती पलकों से परेशान हैं तो ये तरीके देंगे राहत

पलकों

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खूबसूरत, घनी और मुड़ी हुई पलकें किसको पसंद नहीं आतीं। ये चेहरे की खूबसूरती के साथ ही पूरे व्यक्तित्व को आकर्षक बना सकती हैं। मुश्किल यह है कि हर एक को ऐसी पलकें प्राकृतिक रूप से नहीं मिलतीं। जिनको मिलती हैं कई बार वे भी इन्हें खराब कर लेते हैं। ऐसे में आँखों का लुक तो बिगड़ता ही है, आँखों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। पलकों की खूबसूरती को बनाये रखने के लिए प्रयास शुरू से किये जाने चाहिए। यदि कम उम्र में इन्हें नजरअंदाज किया गया तो आगे जाकर ये हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त भी हो सकती हैं। इसलिए कोशिश करें कि प्राकृतिक रूप से मिली पलकों की देखभाल सही तरीके से हो। कुछ सामान्य टिप्स और कुछ प्रोफेशनल मदद भी आपकी पलकों को होने वाले नुकसान से बचा सकती है और थोड़े बहुत हो चुके नुकसान को ठीक भी कर सकती है।
पलकें हैं सुरक्षा कवच 
आँखों के ऊपर सजे ये चंद बाल किसी सजीले-गठीले सुरक्षाकर्मी से कम चौकस नहीं होते। ये आपकी आँखों में धूल, धुआँ, गंदगी आदि के बारीक कणों को जाने से तो रोकते ही हैं, आँखों के ऊपर एक तरह का कवर हमेशा बनाये रखते हैं। ताकि आँखों को बिना किसी नुकसान या बाधा के अपना काम करने का अवसर मिल सके। सामान्यतः पलकों के निचले हिस्से में 75-80 बाल होते हैं जबकि ऊपरी हिस्से में करीबन 90-160। पलकों की संरचना को मुख्यतः तीन हिस्सों पलकें, जड़ और बल्ब में बांटा जाता है। यह बल्ब जो कि सबसे नीचे का हिस्सा होता है, यही अंदर ब्लड वेसल्स से जुड़ा होता है। इसका जीवन चक्र करीब 4-11 महीनों का होता है। स्वस्थ पलकें हमेशा घनी, लम्बी, चमकीली और थोड़ी सी मुड़ी हुई होती हैं। जबकि पतली, कमजोर और छोटी-रूखी पलकें, समस्या का संकेत हो सकती हैं।
समस्याएं और कारण 
पलकों का झड़ना एक आम बात भी हो सकती है। कई बार आँखों को जोर से खुजाने या रगड़ लेने से भी पलकें टूटकर बाहर आ जाती हैं। कई बार इनकी ग्रोथ ठीक से नहीं हो पाती तो कई बार ये बहुत ड्राय हो जाती हैं। ऐसे में ध्यान न देने पर पलकों को स्थाई नुकसान भी पहुँच सकता है। यदि पलकें लम्बे समय तक और ज्यादा मात्रा में झड़ें तो उसके पीछे ये कारण भी हो सकते हैं-
  • गलत मेकअप का इस्तेमाल या गलत तरीके से मेकअप का इस्तेमाल
  • कोई एलर्जी
  • नकली पलकों का इस्तेमाल
  • आँखों को बार-बार खुजलाना या रगड़ना
  • आँखों की त्वचा पर किसी रसायन का उपयोग
  • किसी प्रकार बीमारी जैसे एलोपेशिया, थाइरॉइड संबंधी अनियमितता या एक्जिमा, आदि
  • स्ट्रेस
  • पोषण की कमी
  • किसी विशेष दवाई का सेवन, आदि

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