कभी गैंग्स ऑफ वासेपुर के शमशाद, तो कभी बरेली की बर्फी के प्रीतम विद्रोही या न्यूटन के न्यूटन कुमार, हर किरदार में जान भर देने वाले राजकुमार राव ने बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाई है.
राजकुमार बताते हैं कि उस वक्त भले ही एक्टिंग को प्रोफेशन के तौर पर मानना मध्यमवर्गीय परिवार के लिए मुश्किल था लेकिन उनके सपने को पूरा करने में उनके परिवार ने ख़ूब मदद की, कभी किसी चीज़ के लिए रोका नहीं और इसकी वजह शाहरुख़ ख़ान भी थे” width=”300″ height=”169″
इस मुक़ाम तक पहुंचने का सपना राजकुमार राव ने बचपन में ही देख लिया था. स्कूल से ही नाटकों का जो सिलसिला शुरू हुआ वो कॉलेज में थियेटर, एफटीआईआई में सिनेमा की पढ़ाई और फिर फिल्मों में बतौर लीड एक्टर बनने तक जारी है. राजकुमार राव इसका क्रेडिट शाहरुख़ ख़ान को भी देते हैं.
बीबीसी हिन्दी के लिए नयनदीप रक्षित ने राजकुमार राव से ख़ास बातचीत की है.
बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे राजकुमार राव
राजकुमार का कहना है कि बचपन से ही उनका मकसद साफ़ था, वो सिर्फ़ और सिर्फ़ एक्टर ही बनना चाहते थे. वो कहते हैं, ”स्कूल टाइम से ही तय कर लिया था. किसी और चीज़ के लिए न कभी सोचा न कभी कोशिश की. स्कूल में ही प्ले करना शुरू कर दिया था, कॉलेज में थियेटर किया, उसके बाद फिल्म स्कूल गया.”
राजकुमार बताते हैं कि उस वक्त भले ही एक्टिंग को प्रोफेशन के तौर पर मानना मध्यमवर्गीय परिवार के लिए मुश्किल था लेकिन उनके सपने को पूरा करने में उनके परिवार ने ख़ूब मदद की, कभी किसी चीज़ के लिए रोका नहीं और इसकी वजह शाहरुख़ ख़ान भी थे
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