गोवा बार के दिवंगत मालिक के वकील की तरफ से कहा कि पट्टे के लिए समझौता कभी भी लीज डीड में समाप्त नहीं हुआ, इसलिए पार्टियों के लिए कोई अधिकार नहीं बनाया गया था।
गोवा बार मामले का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, इस बार इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता आयर्स रॉड्रिक्स ने दावा किया है कि बार के मालिक और स्मृति ईरानी के परिवार से जुड़ी कंपनी के बीच लीज एग्रीमेंट हुआ था। आयर्स रॉड्रिक्स ने आबकारी आयुक्त के समक्ष दोनों पक्षों द्वारा किए गए हस्ताक्षर वाला लीज एग्रीमेंट भी पेश किया। हालांकि, गोवा बार के दिवंगत मालिक के वकील की तरफ से कहा गया कि पट्टे के लिए समझौता कभी भी लीज डीड में समाप्त नहीं हुआ, इसलिए पार्टियों के लिए कोई अधिकार नहीं बनाया गया था।
सामाजिक कार्यकर्ता रॉड्रिग्स ने क्या आरोप लगाए
सोमवार को आबकारी आयुक्त नारायण गाड के समक्ष सुनवाई के दौरान, रॉड्रिग्स ने दावा किया कि असगाओ गांव के सर्वेक्षण संख्या 236/22 के तहत संपत्ति, जहां सिली सोल्स बार एंड कैफे स्थित बताया गया है, वह डिगामा ने अपने बेटे के माध्यम से ‘एटॉल फूड एंड बेवरेजेज एलएलपी’ को 1 जनवरी, 2021 से 50,000 रुपये के मासिक किराए पर 10 साल की अवधि के लिए पट्टे पर दिया था। ‘एटॉल फूड एंड बेवरेजेज एलएलपी’ कथित तौर पर ईरानी के परिवार से जुड़ी हुई है। रॉड्रिग्ज ने एक हलफनामे के जरिए जांच अधिकारी के सामने यह पट्टा समझौता पेश किया। आबकारी आयुक्त के समक्ष सुनवाई के बाद, डिगामा परिवार की ओर से पेश अधिवक्ता बेनेडिक्ट नाजरत ने कहा कि पट्टा समझौता कभी भी पट्टा विलेख में परिवर्तित नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “पट्टा समझौते और पट्टा विलेख के बीच अंतर है। पट्टा समझौते में कहा गया है कि पार्टियां यदि चाहें तो संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत पट्टा विलेख बनवा सकती हैं।”
दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता आयरेज रॉड्रिग्स ने 29 जून को एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मापुसा में आबकारी कार्यालय ने एक मृत व्यक्ति एंथनी डीगामा के नाम पर रेस्तरां के आबकारी लाइसेंस को अवैध रूप से नवीनीकृत किया। शिकायत में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा जारी एक मृत्यु प्रमाण पत्र का हवाला देते हुए कहा गया कि 17 मई 2021 को डीगामा की मृत्यु हो गई थी। गैड ने पहली सुनवाई के दौरान उत्तरी गोवा के असगाओ स्थित ‘सिली सोल्स कैफे एंड बार’ रेस्तरां को नोटिस जारी किया था। वहीं स्मृति ईरानी ने अपनी बेटी का नाम रेस्तरां से जोड़ने के लिए कांग्रेस के तीन नेताओं के खिलाफ मानहानि का दीवानी मुकदमा दायर किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्मृति ईरानी के हक में सुनाया था फैसला
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा था कि ईरानी और उनकी बेटी न तो गोवा में रेस्तरां की मालिक हैं और न ही उन्होंने रेस्तरां में भोजन तथा पेय पदार्थों देने के वास्ते लाइसेंस के लिए कभी आवेदन किया, जैसा कि आरोप लगाया गया है।
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