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Kedar Singh Fonia: नीती-माणा पास से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू कराने की इच्छा रह गई अधूरी, कई बार की थी मांग

यात्रा

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फोनिया का कहना था कि उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू होती है तो बंद पड़ा भारत-तिब्बत व्यापार फिर से शुरू हो जाएगा और चीन सीमा क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिल जाएगा।

चमोली जिले की नीती और माणा घाटी से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू कराने की स्व. केदार सिंह फोनिया की हसरत पूरी नहीं हो पाई। वे लंबे समय तक मांग को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से जूझते रहे। केदार सिंह फोनिया चमोली जनपद के सीमांत क्षेत्र नीती घाटी के गमशाली गांव निवासी थे। उनकी प्राथमिक शिक्षा जोशीमठ में हुई। वे चाहते थे कि उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू होती है तो बंद पड़ा भारत-तिब्बत व्यापार फिर से शुरू हो जाएगा और चीन सीमा क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिल जाएगा।

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को पत्र भेजकर कहा था कि कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग के लिए उत्तराखंड में चार विकल्प मौजूद हैं जिनमें से दिल्ली-काठगोदाम-धारचूला-लिपुलेख (693 किमी), दिल्ली-ऋषिकेश-बाड़ाहोती पास (585 किमी), दिल्ली-ऋषिकेश-नीती पास (590 किमी) और दिल्ली-ऋषिकेश-माणा पास (528 किमी) हैं।

कहा कि यात्रा को बढ़ावा देने के लिए उचित होगा कि कैलाश यात्री लिपुलेख पास से होकर जाएं और माणा पास से होकर भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर लौटे। फोनिया ने तब चारों मार्गों का हाथ से बनाया नक्शा भी प्रधानमंत्री को भेजा है लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। वे चमोली जनपद के नीती और माणा पास को पर्यटन से जोड़ने की मांग करते रहे।

 

औली को दिलाई विश्व फलक पर पहचान

औली को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने में केदार सिंह फोनिया का बड़ा योगदान रहा। वर्ष 1975 में जब वे गढ़वाल मंडल विकास निगम के निदेशक थे तो उन्होंने औली को स्कीइंग के शीतकालीन क्रीड़ा केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भी पारित करवाया था। इसकी शुरूआत जोशीमठ से औली तक रोपवे मार्ग से करवाई गई। वर्ष 1992 में रोपवे का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था।

आठवीं कक्षा में हुई थी शादी

केदार सिंह फोनिया का जन्म 27 मई 1930 को नीती घाटी के गमशाली में माधो सिंह फोनिया के घर में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा अपने गृह क्षेत्र जोशीमठ क्षेत्र में होने के बाद हाईस्कूल की पढ़ाई पौड़ी से की। 1946 में आठवीं कक्षा में उनकी शादी हो गई थी। 1948 में वे तिब्बत यात्रा पर गए। तब नीती घाटी से नमक, जौ, चावल, गेहूं, ऊन का तिब्बत में व्यापार होता था।

फोनिया ने पौड़ी से किया था 12वीं

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री ने मंडल मुख्यालय पौड़ी से गहरा लगाव था। उन्होंने वर्ष 1948 पौड़ी के मैसमोर इंटर कालेज से 12वीं उत्तीर्ण की थी। मैसमोर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. योगेश सिंह ने बताया कि पूर्व मंत्री फोनिया ने कक्षा छह से 12वीं तक की शिक्षा एमआईसी से प्राप्त की। पूर्व पालिकाध्यक्ष जसपाल सिंह नेगी ने बताया कि वर्ष 1991 से 93 के बीच फोनिया लगातार शरदोत्सव के आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने आए थे।

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