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IIT कानपुर का करिश्मा! बना डाला ऐसा फिल्टर जो AC को कर देगा एयर प्यूरीफायर में कन्वर्ट

Air filter

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दिल्ली एनसीआर समेत देश के प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोगों को ये खबर राहत दे सकती है. और साथ ही इस खबर से स्वच्छ हवा में सांस लेने का भरोसा भी जगता है. सर्दियों के मौसम में धूल और धुएं वाली हवा में सांस लेने को मजबूर लोगों के लिए आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की टीम एक समाधान लेकर आई है. वैज्ञानिकों ने आपके रेगुलर एसी यानी एयर कंडीशनिंग सिस्टम को एयर प्यूरीफायर में बदलने की तकनीक ईजाद की है. यानी अब आपको अलग से महंगे एयर प्यूरीफायर खरीदने की जरुरत नहीं पड़ेगी. इस तकनीक से घर के अंदर शुद्द हवा पाने का जो समाधान निकाला गय़ा है वो किफायती भी है और आज के समय की ज़रुरत भी.

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने ऐसा एयर फिल्टर तैयार किया है जो घर के अंदर मौजूद दवा से 99% तक प्रदूषण को साफ कर सकता है. और ये काम एसी का फैन मोड “Fan Mode” On करके भी किया जा सकता है. इन एयर फिल्टर्स में “Anti-Microbial Air Purification Technology” एंटी माइक्रोबियल एयर प्यूरिफिकेश सिस्टम लगा है.

वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि इस सिस्टम से कोरोनावायरस के वेरिएंट्स भी फिल्टर किए जा सकते हैं, यानी अगर हवा में कोरोना का वायरस मौजूद है तो वो भी फिल्टर किया जा सकेगा. दावा तो ये भी किया गया है कि इस सिस्टम की Accuracy यानी सटीक बैठने की गारंटी 99.24% है.

अब आप जानना चाहते होंगे कि ये इनोवेशन आम आदमी तक कब पहुंच जाएगा तो इस पर भी काम शुरु हो चुका है. इस सिस्टम का मार्केटिंग लाइसेंस एक नई स्टार्ट अप कंपनी AiRTH ने हासिल कर लिया है. फिलहाल इसकी कीमत भी केवल 2 हज़ार रुपए ही रखी गई है. प्रोडक्ट का नाम  ‘Clean Air Module’  रखा गया है और ये कंपनी की वेबसाइट पर सेल के लिए मौजूद है. खास बात ये है कि जिस स्टार्ट कंपनी के तहत ये तकनीक बाजार तक पहुंच रही है उस कंपनी को शुरु करने वाले रवि कौशिक आईआईटी मुंबई के छात्र रह चुके हैं.

इस सिस्टम को Indian Institute of Science, Bangalore  के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर डिजाईन किया गया है. आईआईटी कानपुर के रिसर्चर प्रोफेसर अंकुश शर्मा के मुताबिक इस अविष्कार से लोग कोरोना के खतरनाक वायरस से भी बच सकते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि बाजार में जो एयर फिल्टर मौजूद हैं, उनकी कीमत कम से कम 10 हज़ार रुपए है. उससे भी बड़ी दिक्कत ये है कि लंबे समय के इस्तेमाल के बाद ये एयर फिल्टर ही कीटाणुओं का घर बन जाते हैं, क्योंकि फिल्टर भर जाता है. जबकि आईआईटी की तकनीक से pm 2.5, pm 10, धूल और कीटाणु तक कंट्रोल किए जा सकते हैँ. आईआईटी में प्रोजेक्ट के को रिसर्चर प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय के मुताबिक इस इनोवेशन की ग्लोबल बाजार में असीम संभावनाएं हैं.

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