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लोक कला को बढ़ावा दें कलाकार: बाबू गप्पी

लोक कला को बढ़ावा दें कलाकार

लोक कला को बढ़ावा दें कलाकार

सैफई । कामेडी कलाकार बाबू गप्पी की तमन्ना है कि हंसने-हंसाने का यह सिलसिला जीवन भर यूं ही चलता रहे। उन्होंने कहा कि कलाकारों को चाहिए कि लोक कला व संस्कृति को बढ़ावा दें। कलाकारों को फूहड़ता से बचना चाहिए।

बाबू गप्पी कई राज्यों में दो हजार से अधिक मंचों, दर्जनों एलबम, लुक्का के साथ कई वीडियो एलबम और 150 देहाती टेलीफिल्म में अपने अभिनय से गुदगुदा चुके हैं। 30 साल पहले आगरा के पिनाहट में जन्मे भोला गुर्जर फोटोग्राफी करते थे। भोला गुर्जर उस दौरान रामलीला, नौटंकी, फाग, आल्हा, कॉमेडी, नृत्य, ड्रामा, देवी जागरण के कलाकार थे। वीडियो एलबम और टेलीफिल्म में काम की शुरुआत कृष्णा कैसेट कंपनी के मालिक उमेश दीक्षित भदरौली ने कराई।

सैफई में अखिलेश यादव से मुलाकात करने आए भोला गुर्जर उर्फ बाबू गप्पी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हंसना-हंसाना सबसे बड़ा योग है। उन्होंने कहा सरकार को चाहिए कि कलाकारों को भी सुविधाएं मुहैया कराए। प्रदेश से विलुप्त हो रही लोक कला व संस्कृति को बढ़ावा देने वाले कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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