फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल करते पकड़े गए अभ्यर्थियों के बरी होने के मामले में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग फिर हाईकोर्ट पहुंचा है। आयोग ने पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिस पर सोमवार को सुनवाई होनी है।
दरअसल, 2020 में हुई परीक्षा के दौरान जो उम्मीदवार ब्लूटूथ से नकल करते पकड़े गए थे, वह बाद में हाईकोर्ट में समझौता होने के बाद बरी हो गए थे।
इनमें से नौ उम्मीदवारों के लिए नवंबर में आयोग ने प्रमाण पत्रों के सत्यापन की तिथि तय कर दी थी। मामले में विवाद के कारण फिर रोक लगा दी गई है। इसके बाद आयोग ने पुनर्विचार याचिका हाईकोर्ट में दायर किया। मामले में पुलिस ने तब जो एफआईआर दाखिल की थी, वह हाईकोर्ट से भी खारिज हो चुकी है। पुलिस इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी गई थी, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने बताया कि उनकी पुनर्विचार याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी है।
यह था मामला
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने फॉरेस्ट गार्ड के 1268 पदों पर भर्ती के लिए मई 2018 में विज्ञापन जारी किया था। लिखित परीक्षा 16 फरवरी 2020 को हुई। इसमें ब्लूटूथ से नकल करने का मामला सामने आया था। खुद पीड़ित छात्रों ने पौड़ी और मंगलौर में मुकदमा दर्ज कराया था।
इस पर हरिद्वार पुलिस ने एसआईटी गठित करते हुए 11 लोगों को गिरफ्तार किया था। साथ ही 47 चयनित उम्मीदवारों को नकल करने वालों के रूप में चिह्नित किया था। इस मुकदमे में सरकार या आयोग को पार्टी नहीं बनाया गया। बाद में इस मामले में वादी और आरोपियों के बीच समझौता हो गया, जिसके चलते अदालत में केस खारिज हो गया। ऐसे में सभी आरोपी कुछ ही महीने के भीतर जेल से छूट गए। इस तरह एफआईआर, गिरफ्तारियों के बावजूद नकल के आरोपित, कानूनी तौर पर प्रमाणित नहीं हो पाए थे।
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