धनबाद समेत पूरे राज्य में एक से लेकर सात सितंबर तक पोषण सप्ताह मनाया जा रहा है। इसे लेकर जिलास्तर के अलावा प्रखंड स्तर पर भी कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन सबके बीच राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2019-21 के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस सर्वे के अनुसार पिछले पांच सालों में जिले में किशोरियों में एनीमिया के आठ प्रतिशत मामले बढ़ गए। यहीं नहीं, 15 से 49 वर्ष की महिलाओं में भी एनिमिया के मामले में बढ़ोत्तरी हुई है।
जिले में महिलाओं के मुकाबले बच्चियों में एनिमिया के मामले कम
वर्ष 2019-21 के सर्वे के अनुसार जिले में 63.8 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया की शिकार हैं, वहीं 2015-16 में यह आंकड़ा 61.7 प्रतिशत था। दूसरी तरफ राहत की बात यह है कि बच्चियों में एनीमिया की शिकायतों के मामले में कमी आई है। 2019-21 में जहां पांच वर्ष तक की 66.5 प्रतिशत की बच्चियां एनिमिया की शिकार हैं, वहीं वर्ष 2015-16 में यह प्रतिशत 69.9 प्रतिशत था।
महिलाओं को रक्ताल्पता के प्रति किया जा रहा जागरूक
इसे लेकर सिविल सर्जन डॉ. आलोक विश्वकर्मा कहते हैं, जिले में किशोर-किशोरियों से लेकर गर्भवती माताओं तक को एनिमिया के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत किशोर-किशोरियों को आयरन की गोली के साथ पेट में कीड़े मारने की एल्बेंडाजोल दवा दी जा रही है।
झारखंड में 67 प्रतिशत बच्चे हैं एनिमिया के शिकार
राज्य की बात करें तो सर्वे के अनुसार, 19 वर्ष तक की 67 प्रतिशत किशोरियों एनिमिया के शिकार है। वहीं, लगभग 65 प्रतिशत गर्भवती माताओं में खून की कमी है। इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार जागरूकता अभियान चला रही है।
- जिले में 15 से 19 वर्ष तक की 69.9 प्रतिशत किशोरियां एनिमिया से ग्रसित
- जिले में पांच वर्ष तक की 66.5 प्रतिशत बच्चियां हैं एनिमिया की शिकार
- जिले की 48.8 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं हैं एनिमिया से ग्रसित
- पांच वर्ष तक के 3.4 प्रतिशत बच्चों में घट गए एनिमिया के मामले
- जिले की 10.1 प्रतिशत महिलाएं हैं ब्लड शुगर की शिकार
- 13.1 प्रतिशत पुरुष ब्लड शुगर से हैं ग्रसित, जो उच्चतम स्तर से अधिक है
- जिले की 26 प्रतिशत महिलाओं का है सामान्य से कम वजन
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