प्रदेश में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में 72 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। हर साल अनिवार्य तबादलों की बारी आते ही इनमें से बड़ी संख्या में शिक्षक बीमार हो जाते हैं, जबकि कुछ लंबी अवधि के लिए छुट्टी पर चले जाते हैं। गंभीर बीमार शिक्षकों की वजह से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार ने इन शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का निर्णय लिया है।
शिक्षा महानिदेशालय ने नौ दिसंबर तक इन शिक्षकों की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन हैरानी की बात यह है कि विभाग को बीमार शिक्षक ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। शिक्षा विभाग में गंभीर बीमार और लंबी अवधि से छुट्टी पर गए शिक्षकों की वजह से बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि सरकार की ओर से इस तरह के शिक्षकों के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फार्मूला तैयार किया गया।
निर्णय लिया गया कि विभाग में जिन शिक्षकों की 20 साल से अधिक की सेवा हो चुकी है और जो शिक्षक अक्सर बीमार रहते हैं, हर जिले में इस तरह के शिक्षकों को चिह्नित किया जाएगा। चिह्नित किए जाने के बाद इन शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेजा जाएगा।
सेवानिवृत्ति का पूरा लाभ मिलेगा
इन शिक्षकों के स्थान पर जहां नए शिक्षकों की नियुक्ति से बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी, वहीं स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई सुचारु रहेगी, जबकि अनिवार्य सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को भी सेवानिवृत्ति का पूरा लाभ मिलेगा, लेकिन हैरानी की बात यह है कि विभाग को जिलों में इस तरह के शिक्षक नहीं मिल रहे हैं।
सहायक अध्यापक एलटी के मामलों को अपर निदेशक गढ़वाल, कुमाऊं और लेक्चरर मामले अपर निदेशक मुख्यालय देखते हैं। जो जिसका नियुक्ति अधिकारी है, वही इसको देखता है।
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