साल 2022 हम सभी से विदा लेने वाला है और 2023 एक नई संभवनाओं, खुशियों, उम्मीदों के साथ जीवन में दस्तक देने जा रहा है। बात साल 2022 की करें तो ये साल कुछ लोगों के लिए एक रोलरकोस्टर की तरह रहा तो कुछ के लिए इसके अलग मायने रहे। अर्थ से लेकर जंग के साथ-साथ हिंसा और उत्पीड़न से जुड़ी कई खबरों ने दुनिया भर से सुर्खियां बटोरीं। फिर चाहे वो ईरान में चल रहे विरोध प्रदर्शन हों, अफगानिस्तान में तालिबान राज हो या फिर श्रीलंका का आर्थिक संकट। दैनिक जागरण आनलाइन टीम ने आपको लिए साल 2022 के वो मुद्दे तलाशे हैं जो पूरे विश्व में चर्चा का विषय बने। तो चलिए एक-एक करके आपको भी बताते हैं कि ये सात मुद्दे कौन से हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध
साल 2022 रूस और यूक्रेन के बीच हुई जंग ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। रूस की तरफ से किए हमलों में यूक्रेन के कई शहर बुरी तरह से तबाह हो गए। रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत का रुख साफ रहा है। जितनी बार भी संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस की आलोचना करने वाला प्रस्ताव आया है भारत इससे बचता रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं भारत सरकार ने एक बार भी रूस का जिक्र नहीं किया, साथ ही रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर भी प्रतिबंधों से भी भारत किनारा कर चुका है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अपने यूक्रेनी समकक्ष दिमित्री कलेवा के साथ बैठक की थी और दोनों नेताओं ने क्षेत्र में हाल की घटनाक्रमों, परमाणु चिंताओं और यूक्रेन पर रूस के युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा की थी।
ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन
ईरान में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हु थे. 22 वर्षीय अमीनी को 13 सितंबर को मोरेलिटी पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उन पर हिजाब नियमों के उल्लंघन के आरोप था. अमीनी की मौत के बाद प्रदर्शन 140 शहरों और कस्बों तक फैल गए। हिजाब विरोधी प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं और इस्लामी गणराज्य के लिए ये संकट चुनौती बन गया। हिजाब विरोध में हजारों महिलाओं ने अपने बाल कटवाए। प्रदर्शन कितना व्यापक था इसे इस बात से समझा जा सकता है कि सुरक्षाबलों की तरफ से की गई कार्रवाई में कई बच्चों, महिलाओं और प्रदर्शनकारियों की मौत हुई। हजारों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया।
अफगानिस्तान में तालिबान राज
अफगानिस्तान में तालिबान राज के बाद हालात पूरी तरह बदल गए हैं. अमेरिका सेना की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था. उसके बाद अफगानिस्तान में जो पलायन का दौर शुरू हुआ था वो आज भी जारी है। साल 2022 में अफगानिस्तान में तालिबान राज पर पूरी दुनिया के लोगों की निगाहें रहीं। अफगानिस्तान में तालिबान के हाथ में जब से सत्ता आई है तब से अफगानों की हालत दयनीय है। आर्थिक स्थिति विकट है, कुपोषण दर बढ़ रही है, महिलाओं के अधिकारों में कटौती की जा रही है, पलायन और आंतरिक विस्थापन जारी है। स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही हैं। अफगानिस्तान के साथ संबंधों को लेकर भारत कहां खड़ा है तो इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, भारत ने अफगानिस्तान को हरसंभव मानवीय सहायता पहुंचाई है। इनमें आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं, टीबी रोधी दवाएं, कोविड-19 टीकों की 500,000 खुराक शामिल हैं। इतना ही नहीं अफगानिस्तान में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत ने 40,000 टन गेहूं की खाद्य सहायता भी दी है।
श्रीलंका में आर्थिक संकट
साल 2022 में श्रीलंका आर्थिक संकट के भीषण दौर से गुजरा। जून 2022 में तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में कहा कि अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, जिससे देश आवश्यक वस्तुओं का भुगतान करने में असमर्थ हो गया है। इसके बाद श्रीलंका में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। आम नागरिक सड़कों पर उतर आए। हिंसा के साथ-साथ आगजनी और लूट की घटनाएं भी हुईं।
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