भूकंप ने तुर्की और सीरिया को भारी नुकसान पहुंचाया है। यहां की हजारों इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं और मलबे के नीचे अभी भी हजारों लोगों के दबे होने की आशंका है। इस प्राकृतिक आपदा से अब तक हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। भारत लगातार मौके पर मदद पहुंचा रहा है।
सोमवार को आए भूकंप ने तुर्की और सीरिया की कमर तोड़ दी है। इस आपदा में करीब 8 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार चलाया जा रहा है और अस्पताल पीड़ितों से पटे पड़े हैं। इस भीषण आपदा के बीच भारत लगातार तुर्की और सीरिया को मदद पहुंचा रहा है। भारत ने राहत सामग्री के अलावा 30 बिस्तरों की चिकित्सा सुविधा वाले इंडियन आर्मी फील्ड अस्पताल को भी मौके पर भेजा है।
तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप ने हजारों लोगों की जान ले ली। 7.8 की तीव्रता के भूकंप के बाद लगातार आए झटकों ने तुर्की और सीरिया के शहरों को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया। इस आपदा में करीब 8 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं मृतकों का आंकड़ा अभी और बढ़ने का अंदेशा है। इस बीच, एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें कहा गया है कि भूकंप ने टेक्टोनिक प्लेट को करीब तीन मीटर तक खिसका दिया। सोमवार को आए भूकंप का केंद्र तुर्की के गाजियांटेप शहर के पास करीब 17.9 किलोमीटर की गहराई में था। इस शहर में लगभग 20 लाख लोग रहते हैं।
अरेबियन टेक्टोनिक प्लेट के खिसकने से आया भूकंप
भूकंप का अध्ययन करनेवाले विशेषज्ञों ने बताया अरेबियन टेक्टोनिक प्लेट के उत्तर की ओर खिसकने के चलते यह प्रलयकारी भूकंप आया। तुर्की भूकंप के प्रति संवेदनशील है क्योंकि यह एक ऐसे प्रमुख फॉल्टलाइन पर स्थित है जो एनाटोलियन प्लेट, अरेबियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट से जुड़ा हुआ है। एक्सपर्ट्स के अनुसार एनाटोलियन प्लेट और अरेबियन प्लेट के बीच फॉल्ट का करीब 225 किमी का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है।इटली के भूकंप विज्ञानी डॉक्टर कार्लो डोग्लियोनी का कहना है कि उन्होंने कहा कि अरेबियन प्लेट उत्तर-पूर्व-दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगभग तीन मीटर तक खिसक गई। भूकंप के बाद तुर्की ‘सीरिया की तुलना में पांच से छह मीटर’ तक खिसक सकता था। हालांकि उन्होंने कहा कि यह प्रारंभिक डेटा के आधार पर कहा जा रहा है आनेवाले कुछ दिनों में और ज्यादा जानकारी मिल पाएगी।
मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका
उधर,विनाशकारी भूकंप और उसके बाद के झटकों के कारण धराशायी हुई इमारतों में से और शवों के बरामद होने से मृतकों का आंकड़ा बढ़कर करीब 8 हजार के पार चला गया है। भूकंप के कारण मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है। हजारों इमारतों के मलबे में बचे लोगों को ढूंढ़ने के लिए बचावकर्मी काम में लगे हुए हैं । दुनियाभर के देशों ने बचाव एवं राहत कार्यों में मदद के लिए टीम भेजी है। तुर्की की आपदा प्रबंधन एजेंसी ने कहा कि 24,400 से अधिक आपातकालीनकर्मी मौके पर मौजूद हैं। लेकिन सोमवार के भीषण भूकंप से बड़े इलाके के प्रभावित होने और अकेले तुर्किये में ही लगभग 6,000 इमारतों के ढहने की पुष्टि के साथ उनके प्रयास बहुत कम साबित हो रहे हैं।
मलबे से 8,000 से ज्यादा लोगों को निकाला गया
तुर्की के उपराष्ट्रपति फुअत ओकते ने कहा कि अकेले तुर्की में ही इमारतों के मलबे से 8,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है और करीब 3,80,000 लोगों ने सरकारी आश्रय स्थलों या होटलों में शरण ली है। आपदा में बचे हुए लोगों तक पहुंचने के प्रयास में शून्य से नीचे का तापमान और करीब 200 की संख्या में आए भूकंप के बाद के झटके भी बाधा बन रहे हैं, इससे अस्थिर ढांचों के भीतर लोगों को खोजना काफी खतरनाक हो गया है।
कई जगह बचाव दल के पहुंचने का इंतजार
अधिकारियों ने बताया कि भूकंप के केंद्र के दक्षिण पूर्व में स्थित हते में करीब 1500 इमारतें जमींदोज हो गईं और कई लोगों ने अपने परिजनों के मलबे में फंसे होने और किसी बचाव दल या मदद के नहीं पहुंचने की शिकायत की है। तुर्की के दक्षिण-पूर्वी प्रांत कहमनमारस में केंद्रित भूकंप ने दमिश्क और बेरूत के निवासियों को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया। सीरिया में ‘डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के मिशन प्रमुख सेबस्टियन गे ने कहा कि उत्तरी सीरिया में चिकित्सा कर्मी जी जान से जुटे हैं जो भारी संख्या में आये घायलों के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। तुर्की के हते प्रांत में हजारों लोगों ने खेल केंद्रों या मेला हॉल में आश्रय लिया, जबकि अन्य लोगों ने बाहर रात बिताई और अलाव का सहारा लिया।
इस्केंदरून बंदरगाह के एक इलाके से काला-घना धुआं उठ रहा है, जहां दमकल कर्मी अभी तक आग बुझाने में सफल नहीं हुए हैं। यह आग भूकंप के कारण पलटे मालवाहक कंटेनर (शिपिंग कंटेनर) में लगी थी। अधिकारियों को आशंका है कि सोमवार तड़के आए भूकंप और बाद के झटकों से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि बचावकर्मी मंगलवार को भी मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटे हैं। कम तापमान और भूकंप के बाद के करीब लगाता झटके महसूस किए जाने के कारण बचाव कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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