अंतरराष्ट्रीय ‘भारत रंग महोत्सव’ मे पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली के गीतनाट्य ‘इंद्रसभा’ का मंचन 19 फरवरी को दिल्ली के कमानी सभागार में
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सी एम पपनैं
नई दिल्ली, 14 फरवरी। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के तत्वाधान मे माह फरवरी 2023 मे, आयोजित हो रहे, 22वे अंतरराष्ट्रीय ‘भारत रंग महोत्सव’ (भारंगम) जो 1999 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा, एशिया का सबसे बडा, प्रतिष्ठित रंगमंच उत्सव है। जिसे नाटकों का महाकुंभ भी कहा जाता है। 14 से 26 फरवरी 2023 तक देश के विभिन्न नगरों व महानगरों दिल्ली, नासिक, जयपुर, राजमुंदरी, भोपाल, जम्मू, कश्मीर, गुवाहाटी, रांची और केवडिया के प्रमुख सभागारो मे आयोजित किया जा रहा है। दुनियाभर के अस्सी से ज्यादा नाटकों का मंचन इस महोत्सव मे किया जा रहा है।
उत्तराखंड की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त, सांस्कृतिक संस्था ‘पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली’ के गीतनाट्य ‘इंद्रसभा’ का मंचन दिल्ली के सु-विख्यात कमानी सभागार में, युवा रंगमंच निर्देशक अमित सक्सेना के निर्देशन मे 19 फरवरी को सांय 7 बजे मंचित किया जा रहा है।
पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली द्वारा मंचित उक्त गीतनाट्य के रचयिता पण्डित कृष्ण बिहारी शुक्ल (अमानत लखनवी) द्वारा सौ वर्ष पूर्व लिखा गया था तथा संगीत निर्देशन स्व.मोहन उप्रेती द्वारा नब्बे के दशक में किया गया था। 2023 मे मंचित हो रहे, ‘इंद्रसभा’ गीतनाट्य के संगीत को असिस्ट कर रही हैं, बबीता पांडे। नृत्य संरचना दिक्षा व दिव्या उप्रेती द्वारा की जा रही है। गीतनाट्य के अन्य मुख्य किरदारों, गायको, नृतको व अन्य सहयोगियों मे महेन्द्र सिंह लटवाल, खिलानंद भट्ट, हरी खोलिया, भुवन रावत, जितेन्द्र चौटाला, गोबिंद महतो, राहुल, हर्षमनु, स्वेता चांद, राजेश सिंह, चंद्रा बिष्ट, पुष्पा जोशी, नीमा गुसाई, श्रष्टि नबियाल, धनलक्ष्मी महतो, हेमंत सेकिया, मनीष कुमार, अनिल मिश्रा, सईद खान, स्वेता चांद, सावित्री शर्मा छेत्री, रितु नायर, सोनिया मनराल इत्यादि मुख्य हैं।
आयोजित किए जा रहे इस अंतरराष्ट्रीय रंगोत्सव मे, हिंदी के साथ ही प्रादेशिक भारतीय भाषाओं व विभिन्न लोक शैलियों के कुल 701 प्रविष्टिया दाखिल हुई थी, जिसमे 661 भारतीय और 40 विदेशी नाटकों की प्रविष्टिया शामिल थी। देशभर के 48 रंगमंच विशेषज्ञों की टीम द्वारा, कुल 87 चयनित नाटकों में, 77 भारतीय व 10 इटली, पोलैंड, श्रीलंका, बंग्लादेश तथा नेपाल के नाटकों का चयन किया गया था।
इस वर्ष भारत रंग महोत्सव की थीम ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ पर आधारित है। इस महोत्सव को आयोजित करने का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक संपदा और रंगमंच के माध्यम से वैश्विक फलक पर देश को सम्रद्ध बनाना रहा है। आयोजन मे समस्त देश के नाटकों के दर्शन हो तथा श्रेष्ठता के बदले सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व मुख्य मानक हो। उक्त उद्देश्यो को दी जा रही, प्रमुखता के बल ही, विगत 23 वर्षो से निरंतर देश के सबसे बडे और अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस नाट्य उत्सव मे दुनिया का चौथा सर्वश्रेष्ठ माना जाने वाला राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के अध्यक्ष परेश रावल के दिशानिर्देशो के तहत, प्रविष्टियों मे शामिल नाटकों की केवल गुणवत्ता नहीं, प्रतिनिधित्व का ध्यान भी रखा गया है। आयोजित रंगमंच महोत्सव मे कलाकार ही नहीं देश के जानेमाने रंगमंच निर्देशक भी शामिल हो रहे हैं। वर्तमान मे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निर्देशक प्रोफैसर (डाॅ) रमेश चंद्र गौड़ हैं।
उक्त महोत्सव में प्रतिभाग कर रही, 1968 मे स्थापित, राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था, ‘पर्वतीय कला केंद्र’ दिल्ली, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा, सन 1989 से निरंतर 28 वर्षो तक, रंगमंडल का दर्जा प्राप्त, देश की अव्वल दर्जे की सांस्कृतिक संस्थाओ मे सुमार रही है। 2001 मे ‘अमीर खुसरो’ तथा 2005 मे ‘भाना गगंनाथ’ गीतनाट्य का मंचन ‘भारत रंग महोत्सव’ (भारंगम) मे मंचित कर ख्याति अर्जित कर चुकी है। 2018 भारत में आयोजित ‘ओलंपिक थियेटर’ मे ‘पर्वतीय कला केंद्र’ दिल्ली द्वारा मंचित गीतनाट्य ‘राजुला-मालूशाही’ के मंचन ने वैश्विक फलक पर बडी ख्याति अर्जित की थी। राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर ‘पर्वतीय कला केंद्र’ दिल्ली द्वारा, अनेको राज्यो व देशो का भ्रमण कर, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमो मे राज्य व देश का प्रतिनिधित्व कर, उत्तराखंड के साथ-साथ भारतवर्ष का नाम रोशन किया है।
दिल्ली प्रवास मे, उत्तराखंड की ख्याति प्राप्त इस सांस्कृतिक संस्था की अनेकों लोकगाथाओं व अन्य कार्यक्रमो का राष्ट्रीय प्रसारण, दूरदर्शन व आकाशवाणी से भी प्रसारित होता रहा है। विगत माह अक्टूबर 2022 मे इस सांस्कृतिक संस्था द्वारा संस्था का यादगार 55वा स्थापना दिवस मनाया गया था, जिसके मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल थे।
देश के अनेकों महानगरों, नगरों व कस्बो मे भारत सरकार, राज्य सरकारो व स्थानीय संस्थाओं द्वारा आयोजित उत्सवो व समारोहों मे इस संस्था के गीत-संगीत व लोकगाथाओं के कार्यक्रम, मंचित होते रहे हैं। वर्तमान में ‘पर्वतीय कला केंद्र’ दिल्ली, देश की एक मात्र प्रमुख सांस्कृतिक संस्था है, जो गीतनाट्य मंचन के क्षेत्र मे, अव्वल स्थान रखती है।
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