मानसून आने पर उत्पादन बढ़ता है लेकिन नदियों में गाद आने पर उत्पादन घटता है. नदियों का जलस्तर गिरने से उत्पादन कम हो जाता है. बिजली की मांग प्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि थर्मल पावर प्लांट का विचार किया जा रहा है.
अब ओडिशा में कोयले से बिजली बनाई जाएगी, क्योंकि उत्तराखंड में बिजली की मांग के सापेक्ष उत्पादन काफी कम है. टीएचडीसी-यूजेवीएनएल जल्द ही प्रदेश में मिलकर काम करेगा. यह परियोजना पूरी होने से अगले चार से पांच साल में राज्य में बिजली की कमी को दूर किया जा सकेगा.
अब ओडिशा में कोयले से बिजली बनाई जाएगी, क्योंकि उत्तराखंड में बिजली की मांग के सापेक्ष उत्पादन काफी कम है. टीएचडीसी-यूजेवीएनएल जल्द ही प्रदेश में मिलकर काम करेगा. यह परियोजना पूरी होने से अगले चार से पांच साल में
ओडिशा में बिजली की कमी को दूर किया जा सकेगा.
सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि जल विद्युत परियोजनाओं का उत्पादन सीजन प्रभावित होता है. मानसून आने पर उत्पादन बढ़ता है लेकिन नदियों में गाद आने पर उत्पादन घटता है. नदियों का जलस्तर गिरने से उत्पादन कम हो जाता है. दूसरी ओर, सौर ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पादित ऊर्जा भी दिनभर ही चलती है.
वर्तमान में बैटरी नहीं है जो बिजली को स्टोर कर सके, इसलिए रात को इसका उपयोग नहीं होगा. बिजली की मांग प्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही है. इसलिए थर्मल पावर प्लांट का विचार किया जा रहा है. सरकार पूर्व में कोयल से बिजली बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगी. टीएचडीसी-यूजेवीएनएल जल्द ही इसका संयुक्त उपक्रम बनाएगा.
बिजली संकट कम हो सकेगा
THDCI ओडिशा में पहले से ही कोयले की खदान है. इसके पास ही संयंत्र स्थापित किया जाएगा क्योंकि उत्तराखंड से कोयला लाने की लागत काफी अधिक होगी. सचिव ऊर्जा ने बताया कि THDCI पहले से ही अपना संयंत्र बनाने के लिए तैयार था, जो अब उत्तराखंड के साथ मिलकर बनाया जाएगा. ये अगले चार से पांच साल में बन जाएगा तो राज्य में बिजली की कमी काफी नियंत्रित हो जाएगी.
Share this content: