गैंगस्टर संजीव जीवा का नाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई आपराधिक गिरोहों से जुड़ा था। राज्य गठन के बाद हरिद्वार क्षेत्र में सक्रिय नाजिम गैंग में भी वह बतौर शूटर शामिल हुआ था। लेकिन, चंद दिनों में ही वह नाजिम को हटाकर इस गैंग का सरगना बन बैठा। वर्ष 2000 के बाद कई सालों तक नाजिम गैंग के गुर्गे संजीव जीवा के हुक्म से अपराधों को अंजाम देते थे।
एक के बाद एक गैंग बदलने से ही अन्य गैंग के बदमाश उसके दुश्मन बन गए थे। कई बार जीवा को रास्ते से हटाने की साजिशें भी रची गईं, लेकिन जीवा हर बार पुराने मुकदमों में जमानत तुड़वाकर जेल जाकर खुद की जान बचाता रहा। राज्य गठन के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई आपराधिक गिरोह उत्तराखंड में सक्रिय रहे।
सबसे ज्यादा हरिद्वार में ही इन गिरोह की सक्रियता रही। इन्हीं में से एक गिरोह हरिद्वार का नाजिम भी चलाता था। नाजिम के खिलाफ कई थानों में संगीन मुकदमे दर्ज थे। संजीव जीवा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गैंग को छोड़कर वर्ष 2000 में हरिद्वार का रुख किया। यहां वह नाजिम के गिरोह में शामिल हो गया। उसने वर्ष 2000 में कनखल थाना क्षेत्र में एक हत्या को अंजाम दिया। इसके बाद वह फिर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहरों में भाग गया।
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