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दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पांच साल पहले भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखाई गई फिल्म ’72 हूरें’ की एक खास स्क्रीनिंग हुई।

दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पांच साल पहले भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखाई गई फिल्म ’72 हूरें’ की एक खास प्रदर्शनी हुई।

दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पांच साल पहले भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखाई गई फिल्म ’72 हूरें’ की एक खास प्रदर्शनी हुई। 100 से अधिक विद्यार्थी विवेकानंद विचार मंच में फिल्म की एक खास स्क्रीनिंग में शामिल हुए। फिल्म के डायरेक्टर-प्रोड्यूसर संजय पूर्ण सिंह चौहान और उनकी पत्नी किरण डांगर के अलावा पवन महोल्त्रा भी वहां उपस्थित थे। स्पेशल स्क्रीनिंग के दौरान विद्यार्थियों ने नारेबाजी की।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जेएनयू कैम्पस में फिल्म “72 हूरें” को प्रदर्शित करने की एक छात्र संगठन एसएफआई ने निंदा की। वहीं कुछ विद्यार्थी फिल्म की तारीफ करते थे। फिल्म के बारे में विद्यार्थियों की साझा प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ विद्यार्थियों ने इसे प्रोपेगेंडा बताया, जबकि दूसरे विद्यार्थियों ने कहा कि फिल्म के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाली मानसिकता के खिलाफ है। बहुत से विद्यार्थियों ने कहा कि फिल्म समाज में विवाद पैदा करने के लिए बनाई गई है।

कुछ राजनीतिक दल ने फिल्म ’72 हूरें’ में दिखाए गए आतंकवादियों को मानसिक रूप से पीड़ित करने के दृश्यों पर गहरी आपत्ति जताई है। इन राजनीतिक दलों का कहना है कि फिल्म में दिखाई देने वाली इस तरह की नकारात्मक बातों से धर्म को लेकर लोगों में गलत संदेश जाएगा और इससे सामाजिक ताने-बाने पर बुरा असर पड़ेगा। फिल्म ’72 हूरें’ पर मौलाना साजिद राशिद ने आपत्ति व्यक्त की है क्योंकि उसमें धार्मिक शिक्षाओं का गलत चित्रण है।
7 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर वाद-विवाद जारी है और इस बीच जेएनयू में फिल्म की स्क्रीनिंग ने फिर से चर्चा की है। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक संजय पूरन सिंह चौहान ने फिल्म को निर्देशित किया है।

 

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