प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (एक जुलाई) को मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 2047 की शुरुआत की। यह बीमारी पूरे देश, खासकर आदिवासी लोगों, को बहुत चिंतित कर रही है। सात करोड़ से अधिक आदिवासी लोगों में यह गंभीर बीमारी है, अनुमान है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2023 भाषण में इस बीमारी को साल 2047 तक भारत से पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा था, इसके जोखिमों को देखते हुए। प्रधानमंत्री मोदी ने इसी तरह मिशन की शुरुआत की है।
सिसिल सेल एनीमिया एक रक्त विकार है। यह सिकल सेल रोग नामक वंशानुगत विकारों में से एक है। सिसिल सेल रोग, दोषपूर्ण हीमोग्लोबिन से संबंधित है, जिसमें ऊतकों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह बाधित होता है, जो कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।
स्वस्थ हीमोग्लोबिन वाली लाल रक्त कोशिकाएं (आरबीसी) चिकनी, डिस्क आकार की और लचीली होती हैं। लेकिन सिकल सेल हीमोग्लोबिन वाली कोशिकाएं कड़ी और चिपचिपी हो जाती हैं, जिससे ऑक्सीजन का संचार प्रभावित हो सकता है। ये कोशिकाएं आपस में चिपक जाती हैं, जो ऑक्सीजन को रक्त में ले जाने से रोक सकती हैं।
यह बीमारी रक्त वाहिकाओं में समस्याओं के साथ एनीमिया, पीलिया और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का भी खतरा बढ़ा सकती है।
कैसे होते हैं इसके लक्षण?
सिकल सेल एनीमिया के लक्षण आमतौर पर कम उम्र में ही दिखाई दे जाते हैं। 4 महीने के शिशुओं में भी यह समस्या देखी जा सकती है। सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिनों तक जीवित रह सकती हैं लेकिन, सिकल सेल केवल 10 से 20 दिनों तक ही जीवित रहती हैं। इसके कारण एनीमिया का खतरा काफी अधिक हो सकता है।
जिन लोगों में यह बीमारी होती है उन्हें कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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- एनीमिया के कारण अत्यधिक थकान या कमजोरी बने रहना।
- किडनी से संबंधित समस्याएं, अधिक बार बिस्तर गीला करना।
- बार-बार पीलिया होना।
- हाथों और पैरों में सूजन और दर्द।
- बार-बार संक्रमण होना।
- सिकल सेल एनीमिया वालों में स्ट्रोक का खतरा भी अधिक होता है।
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