CAPF: केंद्रीय सरकार ने टीएन नामग्याल ‘आईपीएस’ आईजी (पर्स) को फ्रंटियर हेडक्वार्डर एसएसबी लखनऊ के डीआईजी रजनीश लांबा को बर्खास्त करने का आदेश दिया है। यह डीआईजी एलटीसी एयर टिकट मामले में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है..।
केंद्रीय सरकार ने वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में शामिल सशस्त्र सीमा बल (SSB) के एक डीआईजी को वित्तीय अनियमितताओं के कारण बर्खास्त कर दिया गया है। केंद्रीय सरकार ने टीएन नामग्याल ‘आईपीएस’ आईजी (पर्स) को फ्रंटियर हेडक्वार्डर एसएसबी लखनऊ के डीआईजी रजनीश लांबा को बर्खास्त करने का आदेश दिया है। यह डीआईजी एलटीसी एयर टिकट मामले में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है।
वित्तीय अनियमितताओं के मामले में केंद्र सरकार, कोई बड़ी कार्रवाई करने से नहीं चूक रही। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में शामिल सशस्त्र सीमा बल ‘एसएसबी’ के एक डीआईजी को वित्तीय अनियमितताओं के चलते बर्खास्त कर दिया गया है। टीएन नामग्याल ‘आईपीएस’ आईजी (पर्स) ने फ्रंटियर हेडक्वार्डर एसएसबी लखनऊ के डीआईजी रजनीश लांबा को केंद्र सरकार की तरफ से बर्खास्त करने के आदेश जारी किए हैं। उक्त डीआईजी पर एलटीसी एयर टिकट मामले में फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगे हैं।
‘सीओ’ को ‘फ्रीक्वेंट फ्लायर नंबर’ के जाल में फंसाया गया
एसएसबी के सूत्रों ने बताया कि रजनीश लांबा ने फरवरी 2016 से जुलाई 2018 तक एसएसबी मुख्यालय, नई दिल्ली में कमांडेंट ‘प्रशासन’ का पद संभाला था। ये मामला उस समय सामने आया था। उन पर वित्तीय अनियमितताओं और निजी फायदे के लिए नीचे वालों को साथ लेने के आरोप लगे थे। कमांडेंट ने अपने क्रेडिट कार्ड से एयर टिकट खरीद लिया। दूसरे लोगों की टिकटें “फ्रीक्वेंट फ्लायर नंबर” के माइलेज के लिए बुक की गईं। कारण यह था कि हर ट्रैवल पर उन्हें अतिरिक्त माइलेज मिलता था। बाद में, उन्हें किसी रूट पर एक तरफ का पूरा माइलेज मिलता था। उन्हें एसआई मिनिस्ट्रयल और मिलन खेरकटारी का सहयोग मिला। परीक्षण से पता चला कि दोनों ने एलटीसी के नकली टिकट या उनमें बदलाव करके क्लेम डाला था। दोनों ने एक साजिश की थी। 2014 से 2017 तक एलटीसी ब्लॉक ईयर मामले की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में भी यह बात सामने आई थी। वित्तीय अनियमितताएं जांच के बाद भी नहीं समाप्त हुईं।
कार्रवाई का उदाहरण देना चाहिए था
बतौर सीओ लांबा, कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में यह मामला साबित होने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया। CFO जानता था। इसके बावजूद मामले को नियंत्रित करने का प्रयास हुआ। लांबा ने अपनी स्थिति को बदनाम किया। एलीट केंद्रीय अर्धसैनिक बल के सदस्य होने के कारण वे भारत सरकार के हितों को बचाने में असफल रहे। आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा नहीं कर सका। लांबा को इस मामले में अपने व्यवहार से उदाहरण देना चाहिए था। रजनीश लांबा को बर्खास्त करने के आदेशों में कहा गया है कि उन्हें अपने पद और स्टेटस को देखना चाहिए था। इन सबके विपरीत, वे आर्थिक अनियमितताओं में शामिल हो गए। बल के डीजी की रिपोर्ट के साथ नियमों के तहत उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था। बाद में यह केंद्रीय सरकार को सौंप दिया गया। उसमें लांबा को खारिज करने का प्रस्ताव था। ऐसे मामले में, क्लेम के लिए धोखाधड़ी करना सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।
27 जून 2023 से बर्खास्तगी आदेश लागू
14 नवंबर 2022 को डीआईजी की बर्खास्तगी का आदेश जारी हुआ। उसमें कहा गया कि 27 जून 2023 से ये आदेश लागू होंगे। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय भी गया था। उसके बाद ही डीआईजी लांबा के बर्खास्तगी आदेश को 27 जून से लागू किया जाएगा। रजनीश लांबा इस फैसले के खिलाफ ९० दिन के अंदर अपील कर सकते हैं। किसी अधिकारी या कर्मचारी को बर्खास्तगी के बाद पैंशन और अन्य आर्थिक लाभ नहीं मिलते।
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