केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 राज्यसभा में पेश किया। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सिंघवी ने सरकार का समर्थन कर रही पार्टियों को चेताया और कहा कि जो लोग समर्थन कर रहे हैं या समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं उन्हें यह सोचना चाहिए कि सबका नंबर आ सकता है।
दिल्ली सेवा विधेयक को विपक्ष ने लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना के विरुद्ध बताया। राज्यसभा में इस पर चर्चा की शुरुआत भी विपक्ष की अगुआई करने वाली कांग्रेस ने ही की। पार्टी के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले को अध्यादेश के जरिये रातोंरात बदला, अब वह साधारण विधेयक के जरिये उनमें बदलाव करने जा रही है। इस दौरान उन्होंने कई शेरो-शायरी भी सुनाई, हालांकि एक शायरी में वह अपनी पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर ही निशाना साध बैठे। जिसे लेकर सदन में जमकर ठहाके भी लगे।
सबका नंबर आ सकता है
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 राज्यसभा में पेश किया। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सिंघवी ने सरकार का समर्थन कर रही पार्टियों को चेताया और कहा कि जो लोग समर्थन कर रहे हैं या समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि सबका नंबर आ सकता है। इस क्रम में उन्होंने प्रख्यात जर्मन धर्मशास्त्री मार्टिन नीमोलर को भी उद्धत किया जो पहले नाजी समर्थक थे और बाद में हिटलर के कटु आलोचक बन गए थे।
मूकदर्शक की भूमिका में होंगे मुख्यमंत्री
सिंघवी ने विधेयक को संघीय ढांचे के विरुद्ध बताते हुए कहा कि इसमें एक सिविल सर्विसेज अथारिटी बनाने की बात कही गई है जो तीन सदस्यीय होगी। इसमें मुख्यमंत्री भी रहेंगे, लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा कोई भी फैसला बाकी दो सदस्य लेंगे, जो सचिव स्तर के होंगे। मुख्यमंत्री इसमें सिर्फ मूकदर्शक की भूमिका में रहेंगे। इसके आदेश उपराज्यपाल के हस्ताक्षर से जारी होंगे। इसी तरह सभी बोर्डों, कमेटियों के प्रमुखों की नियुक्तियां भी उपराज्यपाल ही करेंगे। यानी उपराज्यपाल अब दिल्ली के सुपर सीएम होंगे। इस दौरान सिंघवी ने एक शेर पढ़ा,
तुम से पहले जो इक शख्स यहां तख्ता नशीं था, उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकीं था।
मनमोहन सिंह पर निशाना साध बैठे सिंघवी
इसके बाद तो सदन में हो-हल्ला होने लगा। कई लोगों ने टोका और कहा कि इनसे पहले तो संप्रग सरकार थी और मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। सिंघवी ने सरकार पर प्रतिशोध की भावना से विधेयक लाने का आरोप लगाया और कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के दो फैसलों के विरुद्ध है। अतीत में किसी भी सरकार ने दिल्ली सरकार के दर्जे को खत्म करने की कोशिश नहीं की थी और उन्होंने वर्तमान सरकार पर नियंत्रण के प्रति उन्मादी होने का आरोप भी लगाया।
सिंघवी ने कहा,
यह दिल्ली के लोगों की क्षेत्रीय आवाज और क्षेत्रीय आकांक्षाओं पर आघात है। यह संघवाद के सिद्धांतों, सिविल सर्विसेज की जवाबदेही के सभी मानकों, विधानसभा आधारित लोकतंत्र के सभी माडलों का उल्लंघन है।
राज्यों के अधिकारों की करें सुरक्षा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि भारत काउंसिल आफ स्टेट है। हमारा कर्तव्य है कि राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा करें। जिसे यह सरकार लगातार छीनते जा रही है। उन्होंने भी विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि बीजद और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी क्यों इसका समर्थन कर रहे हैं जबकि वे जानते हैं कि यह असंवैधानिक है।
चिदंबरम ने कहा कि उन्हें लगता है कि कानून मंत्रालय भी जानता है कि यह असंवैधानकि है। आप के सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक दिल्ली और पंजाब में मिली हार की हताशा है। यह एक राजनीतिक धोखा और संवैधानिक पाप है, क्योंकि भाजपा ने वर्ष 1989, 1999 व 2013 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। लेकिन पिछले चुनावों में जब उन्हें इसके बाद भी हार मिली तो अब वह पूर्ण राज्य तो छोड़िए आधा राज्य का दर्जा भी छीनने में जुटे हैं।
नेहरू के विचारों का उल्लेख
उन्होंने कहा कि हाल में लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के दिल्ली को लेकर रखे गए विचारों का उल्लेख किया था। लेकिन उन्होंने अपने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी व पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भुला दिया जिन्होंने दिल्ली से वादा किया था। हम गृह मंत्री से कहना चाहते हैं कि नेहरूवादी नहीं, अटलवादी बनिए और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दीजिए।
इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने आडवाणी द्वारा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने को लेकर लाए गए विधेयक की याद भी दिलायी। चर्चा में विपक्षी खेमे के द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना उद्धव गुट आदि ने हिस्सा लिया। तृममूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि विधेयक का मकसद दिल्ली सरकार को अधिकार विहीन बनाना है।
Share this content: