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“कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 116वीं जयंती पर पर्यावरण मित्रों को सम्मानित किया।”

“आज, कैम्प कार्यालय में बैराज रोड पर, शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 116वीं जयंती पर पर्यावरण मित्रों को पुष्पगुच्छ और पटका पहनाकर और मिष्ठान खिलाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि शहीद भगत सिंह ने आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसी तरह पर्यावरण मित्र समाज में बीमारियों के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।”

गुरूवार को आयोजित कार्यक्रम में मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने पर्यावरण मित्र कस्तूरी देवी, निरादारी देवी, रीता देवी, मंजू देवी, कुन्ता देवी, सोना देवी, गुड्डी देवी, नानकी देवी, कस्तूरी, प्रवीना देवी को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि हर भारतीय की तरह भगत सिंह का परिवार भी आजादी का पैरोकार था। उनके चाचा अजीत सिंह और श्वान सिंह भी आजादी के मतवाले थे और करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में गदर पाटी के सदस्य थे। अपने घर में क्रांतिकारियों की मौजूदगी से भगत सिंह पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन दोनों का असर था कि वे बचपन से ही अंग्रेजों से घृणा करने लगे। 14 वर्ष की उम्र में भगत सिंह ने सरकारी स्कूलों की पुस्तकें और कपड़े जला दिए। जिसके बाद भगत सिंह के पोस्टर गांवों में छपने लगे।’

 

 

डा अग्रवाल ने कहा कि 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड ने भगत सिंह पर अमिट छाप छोड़ा। अंग्रेजों की सरकार को श्नींद से जगाने के लिएश् उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली के सभागार में बम और पर्चे फेंके थे। इस घटना में भगत सिंह के साथ क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त भी शामिल थे। और यह जगह अलीपुर रोड दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली का सभागार थी।

डा. अग्रवाल ने कहा कि लाहौर षड़यंत्र केस में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा सुनाई गई और बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास दिया गया। भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 की शाम सात बजे सुखदेव और राजगुरू के साथ फांसी पर लटका दिया गया। तीनों ने हंसते-हंसते देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया।’

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि भगत सिंह सिर्फ आजादी के मतवाले ही नहीं थे। वे एक अद्वितीय वक्ता, पाठक, लेखक, और पत्रकार भी थे। भगत सिंह विभिन्न भाषाओं में माहिर थे, जैसे कि हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, बंगाली, और आयरिश। उन्होंने सिर्फ 23 वर्ष की आयु में आयरलैंड, फ्रांस, और रूस की क्रांति के बारे में गहरा अध्ययन किया था। भगत सिंह को भारत में समाजवाद के पहले प्रवक्ता के रूप में माना जाता है।”

 

 

इस मौके पर मंडल अध्यक्ष सुमित पंवार, मण्डल अध्यक्ष महिला मोर्चा निर्मला उनियाल, माधवी गुप्ता, युवा मोर्चा मण्डल अध्यक्ष जगावर सिंह, महामंत्री अभिनव पाल, पार्षद प्रतिनिधि रविन्द्र बिरला, नंद किशोर जाटव आदि उपस्थित रहे।

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