दरअसलआव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) ने गुरुवार को कहा कि भारतीय वीजा आवेदनों में देरी होगी क्योंकि कनाडा ने भारत के कहने पर अपने 41 राजनयिकों को हटा दिया है।
कनाडा ने भारत के कई शहरों में वीजा सेवाओं पर लोग लगा दी है। ये फैसला अपने 41 राजनयिकों को बुलाने के बाद लिया गया है। भारत से 41 राजनयिकों को वापस बुलाने के साथ ही कनाडा ने अब चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु वाणिज्य दूतावासों में अपनी वीजा और कांसुलर सेवाएं भी रोक दी हैं। सेवाएं केवल दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायोग में उपलब्ध होंगी।
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत के साथ जारी राजनायिक विवाद के बीच कनाडा ने ये फैसला लिया है। इससे पहले कनाडा ने कहा था कि भारतीयों को उसके देश का वीजा मिलने में देरी हो सकती है। इसके पीछे कनाडा ने भारत के एक फैसले को वजह बताया है। दरअसल आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) ने गुरुवार को कहा कि भारतीय वीजा आवेदनों में देरी होगी क्योंकि कनाडा ने भारत के कहने पर अपने 41 राजनयिकों और उनके 42 परिवार के सदस्यों को हटा लिया है।
वीजा मिलने में होगी देरी
आईआरसीसी के एक प्रेस बयान में कहा गया है, “20 अक्टूबर, 2023 तक दिल्ली में 21 कनाडाई राजनयिकों और उनके परिवारों को छोड़कर सभी के लिए एकतरफा छूट हटाने के भारत के इरादे के बाद, आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (आईआरसीसी) भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या 27 से घटाकर 5 कर रहा है। आईआरसीसी भारत से मिलने वाले आवेदनों को स्वीकार करता रहेगा और उनको प्रोसेस भी करेगा, लेकिन कर्मचारियों की कम संख्या के कारण प्रोसेसिंग में देरी होने की उम्मीद है।” इसके अलावा, बयान में कहा गया है कि भारत में कनाडाई राजनयिक कर्मचारियों की कमी के कारण, भारतीय नागरिकों को पूरे प्रोसेसिंग टाइम, हर सवाल के जवाब और वीजा या उनके पासपोर्ट वापस पाने में देरी का सामना करना पड़ेगा।
इस बीच, कनाडाई अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि भारत में कनाडा स्थित आईआरसीसी कर्मचारी देश में आवश्यक हर जरूरी काम रोज करेंगे। बयान का हवाला देते हुए कहा गया, “भारत के अधिकांश आवेदन पहले से ही देश के बाहर प्रोसेस किए गए हैं, भारत के 89% आवेदन वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से प्रोसेस किए गए हैं। कनाडा स्थित 5 आईआरसीसी कर्मचारी जो भारत में रहेंगे, वे उस काम पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिसके लिए इन की आवश्यकता होती है, जैसे- तत्काल वीजा प्रोसेस, वीजा प्रिंटिंग, जोखिम मूल्यांकन और प्रमुख भागीदारों की देखरेख आदि।”
कनाडा के 41 राजनयिकों को छूट हटाने की धमकी के बाद उन्हें भारत से वापस बुलाया: कनाडाई विदेश मंत्री
इससे पहले दिन में कनाडाई विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा है कि उनके देश के 41 राजनयिकों को मिली छूट वापस लेने की भारत द्वारा धमकी दिए जाने के बाद कनाडा ने इन राजनयिकों एवं उनके परिवारों को वापस बुला लिया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि 45 वर्षीय खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को हुई हत्या में भारतीय एजेंट की संलिप्तता की ”संभावना” है। भारत ने निज्जर को 2020 में आतंकवादियों की सूची में शामिल किया था। भारत ने इन आरोपों को लेकर नाराजगी जताई थी और इन्हें ”बेतुका” और ”निहित स्वार्थ से प्रेरित” बताकर खारिज कर दिया था।
जोली ने बृहपस्तिवार को कहा, ”मैं इस बात की पुष्टि कर सकती हूं कि भारत ने 20 अक्टूबर यानी कल तक दिल्ली में सेवारत 21 कनाडाई राजनयिकों को छोड़कर सभी अन्य राजनयिकों एवं उनके परिवारों की राजनयिक छूट एकतरफा तरीके से हटाने की अपनी योजना की औपचारिक रूप से जानकारी दी है।” कनाडा चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं को रोक देगा और अब भारत में सभी कनाडाई लोगों को नयी दिल्ली स्थित उच्चायोग में आने को कहेगा।
भारत ने सही ठहराया अपना फैसला
कनाडा के आरोपों पर भारत का भी जवाब आ गया है। भारत ने वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 11.1 का हवाला देते हुए अपने फैसले का बचाव किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमने भारत में कनाडाई राजनयिक उपस्थिति के संबंध में 19 अक्टूबर को कनाडा सरकार का वक्तव्य देखा है। हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप हमें इस ओर ले जाता है कि नई दिल्ली और ओटावा में हमारी पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति एक समान हो। इसे लागू करने के विवरण और तौर-तरीकों पर काम करने के लिए हम पिछले महीने से कनाडाई पक्ष के साथ इस पर काम कर रहे हैं। इस समानता को लागू करने में हमारे कार्य पूरी तरह से राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 11.1 के अनुरूप हैं।”
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