Site icon Memoirs Publishing

गढ़वाल की तरह कुमाऊं में भी उमड़ेगा भक्तों का सैलाब, पीएम मोदी और धामी का ये है प्लान

देहरादूनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद, उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने कुमाऊं क्षेत्र को और अधिक आकर्षक और सुंदर बनाने के लिए गतिशीलता से कदम उठाया है। इस समय तक सरकार ने अकेले गढ़वाल क्षेत्र को ही ध्यान में रखा था, खासकर चारधाम यात्रा और मंदिरों के पर्यटन को महत्वपूर्ण मानती थी। हालांकि, अब सरकार ने कुमाऊं क्षेत्र को भी देखने और विकसित करने का निश्चय किया है। उसके लिए, विशेष रूप से कुमाऊं क्षेत्र को सजाने और आध्यात्मिक यात्रा के रूप में विकसित करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया गया है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत, कुमाऊं क्षेत्र के 16 मंदिरों को एक साथ जोड़ा जा रहा है और इन्हें आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

मानसखंड से बदलेगा कुमाऊंः हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिथौरागढ़ में एक दौरे पर आए थे, जहां उन्होंने धारचूला के ज्योलिकांग को पहुँचकर आदि कैलाश के दर्शन किए। साथ ही, वे भारत-चीन सीमा के पास स्थित गुंजी गांव भी गए। उनके दौरे के बाद, देश और दुनिया में कुमाऊं को महत्वपूर्ण रूप से प्रमोट किया गया है। राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ कुमाऊं में आध्यात्मिक पर्यटन के साथ सारी योजनाओं की जानकारी साझा की, ताकि गढ़वाल के समान तरीके से कुमाऊं का विकास हो सके और पर्यटक इस खूबसूरत क्षेत्र का आनंद उठा सकें।

पीएमओ ने भी इसको लेकर पहले राज्य सरकार से पत्राचार किया था. जब प्रधानमंत्री मोदी ने तमाम योजनाओं का शिलान्यास किया तो उसमें मानसखंड माला मिशन के तहत कुमाऊं के 16 मंदिरों का कायाकल्प भी शामिल था. इसके लिए बकायदा 30 करोड़ रुपए जारी भी किए गए हैं. राज्य सरकार सबसे पहले कुमाऊं के तीन मंदिरों को और ज्यादा विकसित करने जा रही है. इनमें जागेश्वर धाम, हाट कालिका और नैना देवी मंदिर शामिल हैं.

इन मंदिरों के लिए जो बजट जारी किया गया है, उससे मंदिरों के आसपास कई तरह के काम किए जाएंगे. साथ ही साथ मंदिरों को भी भव्य रूप दिया जाएगा. इसके अलावा यात्रियों को रोकने से लेकर खाने-पीने की व्यवस्था कैसे हो सकती है? इसको लेकर भी जल्द ही काम धरातल पर उतरने शुरू हो जाएंगे.

इन मंदिरों को बदला हुआ देखेंगे भक्तः मानसखंड मंदिर माला मिशन में जिन मंदिरों को शामिल किया गया है, उनमें कुमाऊं के 16 मंदिर शामिल हैं. इनमें जागेश्वर धाम, गोल्ज्यू मंदिर, सूर्य मंदिर, कसार देवी मंदिर, नंदा देवी मंदिर, पाताल भुवनेश्वर मंदिर, हाट कालिका मंदिर, बागनाथ महादेव मंदिर, बैजनाथ मंदिर, नैना देवी मंदिर, कैंची धाम, चैती बाला सुंदरी मंदिर, रुद्रेश्वर गुफा, पूर्णागिरि मंदिर, देवीधुरा मंदिर, बालेश्वर मंदिर शामिल हैं.

गढ़वाल की तरह ही कुमाऊं में भी पर्यटक नैनीताल, कौसानी, अल्मोड़ा, मुनस्यारी घूमने आते हैं. ऐसे में इन जगहों को भी कैसे धार्मिक स्थलों से जोड़ा जाए, इसको लेकर भी एक बड़ी प्लानिंग के तहत सरकार काम कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकार को यह जिम्मा सौंपा है कि जो लोग केदारनाथ या बदरीनाथ आ रहे हैं, उन्हें किस तरह से कुमाऊं में दाखिल करवाकर इन तमाम धार्मिक स्थलों के दर्शन करवाएं. इसको लेकर राज्य सरकार तेजी से काम करें.

क्या कहते हैं मंत्री? उत्तराखंड सरकार में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत कुमाऊं के तमाम मंदिरों और पर्यटक स्थलों को एक साथ जोड़ने की कोशिश की जा रही है. इसको लेकर बाकायदा उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है, जो लगातार कुमाऊं के अधिकारियों से समन्वय बनाकर किस तरह से मंदिरों का कायाकल्प होगा और क्या-क्या सुविधा आसपास जुटाई जाएं? इस पर काम कर रहे हैं.

सतपाल महाराज ने कहा कि संबंधित कंसल्टेंट को ये भी निर्देश दिए हैं कि वो सरकार को बताएं कि किस तरह से बेहतर तरीके से मंदिरों को गढ़वाल से जोड़ा जा सकता है? उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ ही समय में कुमाऊं के मंदिरों की भव्यता देखने को मिलेगी. साथ ही उनका स्वरूप भी बदला नजर आएगा. लिहाजा, इसके लिए कुमाऊं को आध्यात्मिक रूप से और मजबूत करने पर काम किया जा रहा है.

Share this content:

Exit mobile version