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Navratri 2023: शारदीय नवरात्र के नौ दिनों तक होगी मां जगदंबे की पूजा-अर्चना, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

 Navratri Puja Vidhi: शारदीय नवरात्र 15 अक्तूबर से शुरू हो रहा है. नौ दिनों तक घरों व मंदिरों में कलश स्थापित कर मां दुर्गा की पूजा की जायेगी. नवरात्र के कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक है. ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि धर्मशात्रीय मत के अनुसार चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापन वर्जित है. इसके बाद वैधृति योग है. इस योग में भी शुभ कार्य निषेद माना गया है. इसलिए कलश स्थापना के लिए शुभ समय दोपहर में है. नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रूप की पूजा होगी. भक्त नौ दिनों तक सुबह से शाम तक उपवास रह कर मां दुर्गा की आराधना करेंगे और शाम में माता की आरती के बाद फलाहार करेंगे. नवरात्रि के नौवें दिन कन्या पूजन की जायेगी.

kalash Sthapana Vidhi: इस तरह से करें कलश स्थापना

नवरात्रि के पहले दिन सुबह में स्नान कर लें और मां दुर्गा के नाम नौ दिन के लिए अखंड दीपक जलाएं. कलश स्थापन के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डाल लें और उसमें जौ के बीज बो दें. इसके बाद तांबा के लोटा या मिट्टी के कलश पर रोली से स्वास्तिक बना दें और कलश के ऊपरी हिस्से यानी कंठ वाले भाग में मौली बांध दें. अब कलश में गंगाजल डालें. फिर उस पर रुपया, दूब, सुपारी और चावल रख दें. इसके बाद कलश पर पंच पल्लव या आम के पांच पत्ते लगा दें और नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर उस पर भी मौली बांध दें. अब कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें, जिसमें आपने जौ बोये हैं. कलश स्थापना के बाद फिर मां भगवती को प्रणाम करते हुए अपने व्रत की शुरुआत करें.

Shardiya Navratri Puja Vidhi: नौ दिनों तक मां की पूजा का स्वरूप

  • 15 अक्तूबर – मां शैलपुत्री की पूजा
  • 16 अक्तूबर – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • 17 अक्तूबर – मां चंद्रघंटा की पूजा
  • 18 अक्तूबर – मां कूष्मांडा की पूजा
  • 19 अक्तूबर – मां स्कंदमाता की पूजा
  • 20 अक्तूबर – मां कात्यायनी की पूजा
  • 21 अक्तूबर – मां कालरात्रि की पूजा
  • 22 अक्तूबर – मां महागौरी की पूजा
  • 23 अक्तूबर – मां सिद्धिदात्री की पूजा
  • 24 अक्तूबर- विजयदशम

शारदीय नवरात्र कन्या पूजन

शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि 21 अक्तूबर को है. इस दिन सप्तमी तिथि का मान शाम 7:27 बजे तक है. इसके बाद अष्टमी लग जाएगी. अर्धरात्रि में अष्टमी होने से महानिशा पूजन और देवी के निमित्त बलिदानादिक क्रिया इसी दिन संपन्न होगी. महाअष्टमी 22 अक्तूबर को है. इस दिन अष्टमी तिथि का मान शाम 5:25 बजे तक है. इसके बाद नवमी तिथि है, जो श्रद्धालु अंतिम दिन व्रत और पूजन करते हैं, वह इसी दिन व्रत करेंगे. महानवमी 23 अक्तूबर को है. इस दिन नवमी तिथि का मान दोपहर 3:10 बजे तक है. इस दिन कन्याओं का पूजन व हवन किया जाएगा. नौ दिन व्रत रखने वाले 23 अक्टूबर को दिन में 3:11 बजे के उपरांत व्रत का पारण करेंगे. जबकि विजया दशमी 24 अक्तूबर को मनाई जाएगी. इसी दिन शमी, शस्त्र, अपराजिता पूजन और नीलकंठ दर्शन किया जाएगा. दिन में 11:38 से 12:23 बजे तक है. इसके अलावा सुबह 6:16 से शाम 5:44 बजे के बीच कभी भी कलश स्थापना किया जा सकता है.

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