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इंवेस्टर समिट बाद सीएम धामी सरकार का प्लान, राज्य के अंदर होगा रोजगार का सृजन,

 इनवेस्टर समिट के पश्चात सूचना विभाग की विकास पुस्तिका का विमोचन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। इस मौके पर धामी ने यह बताया कि इनवेस्टर समिट का समापन नहीं हो रहा है, बल्कि यह विकास की नई शुरुआत है।

सूचना विभाग की विकास पुस्तिका का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इनवेस्टर समिट के बाद उठाए गए कदमों का जश्न मनाया। इस मौके पर धामी ने बताया कि इस समिट का समापन नहीं हुआ है, बल्कि यह विकास के नए युग की शुरुआत है। समिट में हुए समझौतों को पूरे दृष्टिकोण से लागू किया जाएगा।

नियमित समीक्षा के अंतर्गत, उत्तराखंड में रोजगार और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाएंगे। राज्य के भीतर ही पलायन की समस्या को पूरी तरह से समाप्त किया जाएगा। एफआरआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि इनवेस्टर समिट के लिए ढाई लाख करोड़ के बड़े लक्ष्य का स्थापना हुआ है, और इस पर कुछ लोगों ने संदेह जताया है, लेकिन इसे पूरा करने का आदान-प्रदान भी किया है।

इसके बावजूद हमें विश्वास था कि कुछ बड़ा होगा। अभी तक साढ़े तीन लाख करोड़ के एमओयू हो चुके हैं। कुछ अभी भी पाइप लाइन में हैं। जो जल्द होंगे। इस तरह आने वाले समय में राज्य में बड़े पैमाने पर निवेश होगा। राज्य में नए उद्योग आएंगे। इससे निवेश बढ़ेगा। रोजगार बढ़ेगा।

इस तरह का माहौल तैयार किया गया है कि न सिर्फ रोजगार बढ़ेंगे, बल्कि स्वरोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। इस दौरान सीएम ने समिट की तैयारियों में लगे मजदूरों के योगदान को खूब सराहा।इस मौके पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, आवास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजान दास, मुन्ना सिंह चौहान, सुनील उनियाल गामा, मधु भट्ट, पुनीत मित्तल, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम आदि मौजूद थे।

उत्तराखंड की पहचान बनेगा हाउस ऑफ हिमालय
सीएम ने कहा कि हाउस ऑफ हिमालय उत्तराखंडी उत्पादों को नई पहचान दिलाएगा। उत्पादों को एक बड़ा बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। लखपति दीदी योजना से राज्य की मातृ शक्ति को मजबूत किया जाएगा।

सिलक्यारा में मीडिया की भूमिका को सराहा
सूचना विभाग की विकास पुस्तिका का विमोचन करते हुए सीएम ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में मीडिया ने सकारात्मक काम किया। कहा कि सिलक्यारा हादसे में देश और राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती से पार पाकर श्रमिकों के जीवन को बचाया गया। जब 17 दिन बाद श्रमिक टनल से बाहर आए, तो वे पूरी तरह स्वस्थ और आत्मविश्वास से भरे हुए थे।

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