राज्य में जो भी Bonafide निवासी है, उसको भी सरकारी महकमों में Domicile (स्थाई निवास प्रमाण पत्र) पेश करने के लिए बाध्य किया जा रहा था.इससे पहाड़ के मूल लोगों के साथ ही तराई में दशकों से रहने वालों को भारी तकलीफ हो रही थी.
CM पुष्कर सिंह धामी तक इन दिक्कतों से जुड़ी फरियादें और शिकायतें पहुँच रही थी.इसके बाद उन्होंने आला अफसरों संग मंथन के बाद Bonafide लोगों को Domicile की बाध्यता से बाहर कर दिया.सचिव विनोद सुमन ने इससे जुड़े आदेश को जारी करने के साथ ही इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने की हिदायत दी।
शासन के संज्ञान में आ रहा था कि सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थाओं और प्रदेश में अन्य विभिन्न कार्यों के लिए उत्तराखण्ड के मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों को से भी Domicile जमा करने के लिए बाध्य किया जा रहा था.ख़ास बात ये है कि सामान्य प्रशासन विभाग के शासनादेश संख्या 60/CM/xxxi (13)G/07-87(3)/2007 दिनांक 28 सितम्बर 2007 में भी मूल निवास प्रमाण पत्र धारकों के लिए स्थाई निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता न होने का साफ़ आदेश है.
सामान्य प्रशासन सचिव के मुताबिक स्थाई निवास प्रमाण पत्र के लिए 15 साल तक स्थाई रूप से उत्तराखंड में रहना काफी होता है.कोई बाहरी भी इसके लिए पात्र हो सकता है.जो सरकारी नौकरी में हो और उसकी सेवा उत्तराखंड से बाहर न हो, वह भी यहाँ का स्थाई निवासी आराम से हो सकता है.मूल निवास प्रमाणपत्र के लिए यहाँ का मूल निवासी होने के प्रमाण सरकार को देने जरूरी हैं.
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