आज का दिन देश के लिए ऐतिहासिक होने वाला है क्योंकि आज अयेध्या के राजा और सनातन धर्म के सबसे बड़े प्रतिक प्रभु श्रीराम अपने सुंदर महल में विराजमान हैं। आज अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। ऐसे में हर जगह रामलला के आने का उत्साह और उत्साह दिखाई देता है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देशभर से कई बड़े नेता भी अयोध्या पहुंचे हैं। आज के दिन, हर कोई अयोध्या में जाना असंभव है, इसलिए लोग घर से ही पूजा-अर्चना करके रामलला को प्रसन्न करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आज प्राण प्रतिष्ठा के दिन घर पर भगवान राम की पूजा विधि, मंत्र, आरती, भोग आदि के बारे में…
भगवान राम की घर पर ऐसे पूजा करें
- आज प्राण प्रतिष्ठा का दिन है, इसलिए प्रातः स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
- अब रामलला की मूर्ति या चित्र को एक लकड़ी की चौकी पर रखें।
- रामलला को फिर पंचामृत से स्नान कराएं। फिर भगवान राम को जल से अभिषेक करें।
- रामलला को वस्त्र पहनाएं और चंदन से तिलक करें। इसके बाद फूल और माला से उनका आभूषण करें।
- फिर रामलला को धूप, दीप, अक्षत्, फूल, फल, नैवेद्य, तुलसी के पत्ते, गंध आदि अर्पित करें।
- आप उन्हें सुगंधित लाल, पीले या सफेद पुष्प दे सकते हैं।
- वहीं आप रामलाल को प्रसाद के रूप में रसगुल्ला, लड्डू, हलवा, इमरती, खीर आदि दे सकते हैं।
- साथ ही पूजा के दौरान राम नाम का जप करें और घी के दीपक या कपूर से उनकी आरती करें
भगवान राम पूजा मंत्र
- ऊं रामचंद्राय नमः
- रां रामाय नमः
- ऊं नमो भगवते रामचंद्राय
आरती भगवान राम की
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
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