अब प्रदेश के सभी जिलों में शीघ्र ही उपभोक्ता फोरम में मामले सुने जा सकेंगे और उपभोक्ताओं के हित में निर्णय आ सकेंगे। अभी तक लगभग पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओ के विवाद लंबित थे और उनका निस्तारण नहीं हो पा रहा था। इस मामले में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुये प्रदेश के 13 में से 11 जिलों में उपभोक्ता फोरम के अध्यक्षों और सदस्यों को नियुक्त करने के लिए 20 जनवरी तक विज्ञप्ति जारी करने के साथ चार माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न कराकर अपनी संस्तुति देने को सरकार को निर्देश दिए है। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल के प्रथम सप्ताह में होगी।जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय ने एक समाचारपत्र में छपी खबर का स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में लिया। समाचारपत्र में कहा गया था कि प्रदेश में राज्य उपभोक्ता आयोग के साथ ही सभी जिला मुख्यालयों में उपभोक्ता फोरम का गठन किया गया है।लेकिन 13 में से 11 जिलों में अध्यक्ष और सदस्य मौजूद नहीं हैं। इससे उपभोक्ता मामलों का निपटारा नहीं हो पा रहा है। उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चमोली, पिथौरागढ़, टिहरी, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, बागेश्वर और चंपावत में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है। वहीं हरिद्वार और देहरादून के कंज्यूमर फोरम निष्क्रिय साबित हुए हैं।
हरिद्वार में तो उपभोक्ता फोरम के वादों की सुनवाई एक साल से नहीं हो सकी है जबकि देहरादून में वादों की अंतिम सुनवाई सितम्बर 2022 को हुई थी। हरिद्वार और देहरादून में उपभोक्ता फोरम के 1470 वाद लंबित है और समय पर वादों की सुनवाई नहीं होने से उपभोक्ताओं को समय पर न्याय नहीं मिल रहा है और यही हाल अन्य जिलों का भी है। इसलिए रिक्त पड़े पदों पर शीघ्र भर्ती की जाय।
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