देहरादून: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में, जो भारत-नेपाल सीमा के निकट स्थित है, एक नई गुफा का पता लगाया गया है जिसमें हजारों नर कंकालों का संग्रह पाया गया है। यह नई खोज हिमालय के क्षेत्र में नर कंकालों के बारे में एक रहस्यमय अध्याय को और भी गहरा और जटिल बनाती है। यह गुफा धारचूला के गर्बियांग गांव के करीब, काली नदी को पार करते हुए नेपाल के छांगरु गांव से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां मिले मानव अवशेष हजारों वर्ष पुराना इतिहास समेटे हुए हैं, जो मानवता के विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इस गुफा की खोज और उसमें छिपे रहस्यों का दस्तावेजीकरण अब तक किसी ने नहीं किया था, लेकिन इस शोध कार्य को करने वाली वीडियो डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली टीम @thirdpolelive ने पहली बार इसे फिल्माने का अवसर प्रदान किया है। उनकी मेहनत के परिणामस्वरूप, यह अनोखी जानकारी अब लोगों के सामने आ रही है, जो हमें अपने अतीत को समझने में मदद करेगी।
स्विस खोजकर्ताओं ने पहले किया था जिक्र
इस गुफा का उल्लेख वर्ष 1901 में स्विस खोजकर्ताओं अर्नाल्ड हैंम और आगस्ट गांसर द्वारा किया गया था, जब वे तिब्बत की रहस्यमय और अद्भुत यात्रा पर गए थे। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने कई अद्वितीय स्थलों का निरीक्षण किया, जिनमें यह गुफा भी शामिल थी। स्थानीय लोगों को इस गुफा के बारे में अच्छी तरह से जानकारी थी, लेकिन इसके बावजूद, आज तक केवल कुछ ही भाग्यशाली लोग इस गुफा को देख पाने में सक्षम हुए हैं। गुफा की गहराई में कई अनसुलझे रहस्य और खजाने मौजूद हो सकते हैं, लेकिन यह स्थान इतना कठिन है कि इसकी वास्तविकता से अधिकतर लोग अनभिज्ञ रहे हैं।
हिमालय के अन्य हिस्सों में भी ऐसी गुफाएं
स्थानीय लोगों के अनुसार, धारचूला के बुदी गांव से लगभग तीन किलोमीटर ऊपर की ओर भारत की सीमा में एक विशेष गुफा स्थित है, जिसमें नर कंकालों की उपस्थिति देखी गई है। यह गुफा अपने अजीब रहस्यों के लिए जानी जाती है और यहां की कहानी स्थानीय समुदायों में काफी चर्चा का विषय है। तिब्बतोलॉजिस्ट एसएस पांगती का कहना है कि केवल धारचूला क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि दारमा और व्यास घाटियों में भी ऐसी अन्य गुफाएं पाई जाती हैं, जिनमें संभावित रूप से महत्वपूर्ण अवशेष हो सकते हैं। हालाँकि, अभी तक इन गुफाओं के बारे में विस्तृत और गहन शोध नहीं किया गया है, इसलिए इनके रहस्यों को पूरी तरह से समझ पाना संभव नहीं हो पाया है। यह विषय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक दिलचस्प चुनौती प्रस्तुत करता है।
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