नगर-निगम देहरादून के मोहल्ला स्वच्छता समिति घोटाले के मामले में नगर निगम और उत्तराखंड सरकार द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने के कारण अब प्रधानमंत्री से इस घोटाले की शिकायत की गयी है। सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि निवर्तमान नगर निगम बोर्ड द्वारा एक सोची समझी रणनीति तहत किया गया। नगर निगम का अब तक सबसे बडा घोटाला है। इसमें मेयर सूनील उनियाल गामा से लेकर पार्षद सुपरवाइजर से लेकर सफाई निरीक्षक मौहल्ला स्वच्छता समिति के अध्यक्ष कोषाध्यक्ष सचिव स्वास्थ्य अनुभाग के अधिकारी तक शामिल रहे।
निवर्तमान बोर्ड से पहले तक नगर निगम के 60 वार्ड थे और इनमें 20-21 सफाई कर्मचारी पहले से ही कार्यरत थे। ऐसे में इनमें सफाई कर्मचारी रखने की कोई आवश्यकता नही थी। केवल नये जुडे 40 वार्डों में ही सफाई कर्मचारी रखने की आवश्यकता थी। निवर्तमान बोर्ड की शुरुआती बोर्ड मिटिंग के शुरू होते ही पार्षद गण हल्ला मचाना शुरू कर देते थे, सफाई नही हो रही सुपरवाइजर हमारी नही सुन रहे फिर वर्ष 2019 में 3 जून को प्रस्ताव संख्या 25 (7) के अन्तर्गत मौहल्ला स्वच्छता समिति के गठन का प्रस्ताव बोर्ड मिटिंग मे लाया गया, जिसे बोर्ड द्वारा सहर्ष स्वीकार कर लिया गया और देहरादून नगर निगम के सभी 100 वार्डों में मौहल्ला स्वच्छता समिति बनाने पर मोहर लगा दी गई और पार्षदों को कर्मचारी रखने से लेकर काम लेने और हटाने तक अधिकार दे दिया गया। वेतन नगर निगम द्वारा देना तय किया गया और यही अधिकार करोड़ो के घोटाले का कारण बना, जब मौहल्ला स्वच्छता समिति के गठन के बाद भी सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नही हुआ वार्डो मे कर्मचारी नजर नही आ रहे थे। तब जोशी ने नगर निगम के लोकसूचना अधिकारी से मौहल्ला स्वच्छता समिति के कर्मचारियों की जानकारी मांगी।
लोकासूचना अधिकारी द्वारा जो सूचना प्रेषित की गयी वो काफी चौंकाने वाली थी, जोशी द्वारा सबसे पहले कौलागढ वार्ड 31 की सूची देखी, सूची में दिखाये गये दो सफाई कर्मचारी बाबूलाल उर्फ बल्ली पुत्र जीतराम 15 प्रेमपुरमाफी और राजेंद्र थापा पुत्र धनबहादुर थापा प्रेमपुरमाफी दोनो फर्जी निकले अन्य वार्डो की सूची में नैथानी ध्यानी पुरोहित चमोली नौटियाल जैसे उच्च कुल वालों को सफाई कर्मचारी दिखाया गया।
इससे घोटाले का पर्दाफाश हुआ कि पार्षदों ने अपने सगे संबन्धियों यार दोस्तों को कागजों में सफाई कर्मचारी बनाकर करोड़ों का भ्रष्टाचार किया है। इस भ्रष्टाचार में सफाई नायकों और निरिक्षकों की अहम भूमिका रही, सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति सफाई नायक द्वारा ली जाती थी।
सफाई निरीक्षक द्वारा सत्यापन किया जाता था, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी की जांच के बाद लेखा अनुभाग वेतन जारी करता था मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी बिना जांच के सूची लेखा अनुभाग को भेज देते थे और लेखा अनुभाग भी बिना जांच किये वेतन जारी करता रहा, जबकि नगर आयुक्त द्वारा शिकायतों के बाद मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी और लेखा अनुभाग को जांच के आदेश किये हुए थे। शुरुआत में 275 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वेतन दिया गया लेकिन बहुत जल्द वेतन 500 रुपये प्रतिदिन कर दिया, जबकि निवर्तमान बोर्ड से पहले 20-20 सालों से काम कर रहे कर्मचारी 3-3 हजार में काम कर रहे थे। शासनादेश के अनुसार सफाई कर्मचारियों का वेतन सीधे उनके खाते में दिया जाना था। लेकिन शासनादेश को दरकिनार करते हुए 900 से ज्यादा सफाई कर्मचारियों को नकद मनमाफिक भुगतान किया गया।
हद तो तब हो गयी जब यूपी बिहार पश्चिम बंगाल वालों को सफाई कर्मचारी दिखाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। वार्डो के सफाई नायक, निरिक्षक और नगर निगम के अधिकारियों ने पार्षदों के साथ मिलकर घोटाले को बखूबी अंजाम दिया। विनोद जोशी ने अप्रैल 2021 में बाकायदा नगर निगम मे प्रदर्शन करके घोटाले का भंडाफोड किया और नगर आयुक्त को कार्यवाई करने के लिए कहा लेकिन 5 दिन में कार्यवाई का भरोसा देने के बाद आज तक कोई कार्रवाई नही हुई।
निवर्तमान बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के बाद नगर निगम प्रशासक जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी से घोटाले की जांच करवाई जांच में मुख्य विकास अधिकारी ने पाया कि पार्षदों द्वारा केवल कागजों मे सफाई कर्मचारी दिखाकर लगातार चार साल नगर निगम के खजाने की सफाई होती रही। जांच रिपोर्ट आने के बाद नगर निगम प्रशासक जिलाधिकारी द्वारा नगर निगम को घोटालेबाजों से रिकवरी के आदेश किये गए लेकिन दुर्भाग्य फिर से चुनाव होने वालें हैं लेकिन किसी भी घोटालेबाज से रिकवरी नही हो पायी है। घोटाले पर कार्यवाई न करके नगर निगम द्वारा प्रधानमंत्री जी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान को पलीता लगाया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जोशी ने प्रधानमंत्री से घोटाला करने में शामिल पार्षदों सफाई नायकों, निरीक्षकों मौहल्ला स्वच्छता समिति के अध्यक्षों, कोषाध्यक्षों, सचिवों और शामिल अधिकारियों से रिकवरी करने और पार्षदों के आगामी नगर निगम चुनाव लडनें पर रोक लगाने की मांग की है।
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