टिहरी। नगर निकाय चुनाव मे चमियाला नगर पंचायत अध्यक्ष की उम्मीदवार एक बार फिर से कांग्रेस की तरफ से मैदान मे हैं। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल मे अनेको उपलब्धि हासिल की हैं।
आइये जानते हैं उनके सफर के बारे मे –
जंहा एक ओर लोग पहाड़ों को छोड़ पलायन कर रोजगार को लेकर दूर दराज शहरों की दहलीज पांव रख रहे हैं, वंही पहाड़ की कुछ बेटियां पहाड़ों में ही रहकर कामयाबी की इबारत भी लिख रही हैं। देवभूमि की कई बेटियां ऐसी हैं जिन्होंने शहरों का रुख न कर पहाड़ में ही रहकर सफलता की ऊंचाई को छूने का काम किया है।
दरअसल हम बात कर रहे हैं टिहरी जनपद के चमियाला नगर पंचायत की पूर्व अध्यक्षा व वर्तमान कांग्रेस उम्मीदवार ममता पंवार की, ममता पूर्ण रूप से पहाड़ के जीवन को जीने वाली वह महिला हैं जो घास काटने से लेकर जनता की सेवा और अब बच्चों को शिक्षा देने का काम करेंगी,यह उनकी विषम परिस्थितियों मे संघर्ष करने का नतीजा ही है, उन्होंने ख़ास बातचीत मे बताया कि
एक तरफ लोग जहां पहाड़ में खेती-बाड़ी छोड़ पलायन कर रहे हैं,वहीं कई ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने बड़े पदों पर नियुक्ति होने के बाद भी खेती और पशुपालन जैसे परंपरागत व्यवसाय नहीं छोड़े। चमियाला की नगर पंचायत अध्यक्ष ममता पंवार ऐसा ही एक शानदार उदाहरण पेश कर रही हैं |
दरअसल सामान्य परिवार की ममता ने अपनी शिक्षा को जीवित और परिवार की देखभाल के लिए बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी मे नौकरी की,मिलन सार और गांव की समस्याओं को प्रमुखता से रखने वाली इस महिला ने बाल विकास विभाग मे नौकरी छोड़ जनता की सेवा करने का मन बनाया जिसमें इन्हें भारी मतों से नगर पंचायत चमियाला के अध्यक्ष पद पर विजय प्राप्त हुई जिससे ममता को चमियाला की पहली महिला अध्यक्ष होने का गौरव भी प्राप्त हुआ। ऐसा नहीं की वह पंचायत के कार्यों के साथ-साथ घर-गृहस्थी, खेती-बाड़ी की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रही है, बच्चों के लिए खाना एवं घर के कामों आदि निपटाने के बाद वे नियत समय पर आफिस पहुंचकर शाम तक अपने दफ्तर के कार्यों को निपटाती है। इसके अलावा उन्होंने अपने क्षेत्र में कई महिलाओं को समूह के माध्यम से जोड़ना शुरू किया है और सरकार की योजनाओं से लाभान्वित करने का प्रयास भी वह लगातार कर रही हैं।
उनके व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो ममता के घर में बारह वर्षीय बेटा,16 वर्षीय बेटी के अलावा पति,सास-ससुर हैं। इन्हीं सबके बीच ममता की शैक्षिक योग्यता एमए बीएड भी पूरी हुई और वह दैनिक कार्यों को निपटाने के बाद रात मे टी ई टी को क्वालिफाइड करने के लिए पढ़ाई मे प्रयासरत रही यही नतीजा है कि ममता ने आज टी ई टी भी क्वालिफाइड कर दिया है। यह सब उनके परिश्रम का ही नतीजा है। सच मे कामयाबी की इबारत लिखने की यह मेहनत की ममता पंवार की कहानी पहाड़ की उन अन्य महिलाओं के लिए सीख है जो अक्सर हिम्मत हारकर अपने रास्ते बदल देते हैं। इन्ही कारणों से एक बार ममता पर फिर कांग्रेस ने विश्वास जताया है, उनका कहना है कि जनता का आशीर्वाद उन्हें पहले भी मिला था और वर्तमान मे भी मिलेगा वह जनता के विकास को लेकर प्रतिब्ध हैं।
क्या कहती हैं ममता :
जनता की सेवा के साथ साथ मैंने घर के कार्यों के साथ परिवार की देखभाल और अपनी पढ़ाई जारी रखी मेरा सपना था की मै शिक्षा के क्षेत्र मे कुछ बेहतर कर सकूं मेरे परिवार के सहयोग से मैने अपनी टी ई टी की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली जो कि मेरे लिए गौरवान्वित होने वाली बात है। कहती हैं कि जिस व्यक्ति के अंदर हुनर होता है वह कभी भी किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रह सकता हर क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकता है आवश्यकता है तो व्यक्ति को कभी भी हार नहीं मानने की,कोशिश करते रहनी चाहिए जो व्यक्ति प्रयास करता है उसे सफलता अवश्य मिलती है व्यक्ति को कभी भी अपने जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए बल्कि संपूर्ण जिम्मेदारियों का डटकर सामना करना चाहिए। तभी निश्चित है कि सफलता हाथ लग पायेगी।
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