क्‍या है योगिनी एकादशी व्रत रखने की सही तारीख? शुभ मुहूर्त और पारण समय भी जान लें

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हिंदू धर्म में सभी एकादशी को भगवान विष्‍णु की पूजा-आराधना करने के लिए उत्‍तम माना गया है. हर महीने में 2 और साल की सभी 24 एकादशी का व्रत करना और विधि-विधान से पूजा करना भगवान विष्‍णु की अपार कृपा दिलाता है. वहीं कुछ एकादशी को विशेष माना गया है. योगिनी एकादशी भी इन्‍हीं में से एक है. योगिनी एकादशी का व्रत करना, भगवान विष्‍णु की पूजा-पाठ करना और कथा पढ़ना बहुत लाभ देता है.

इस दिन है योगिनी एकादशी व्रत 2023 

हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 13 जून, मंगलवार की सुबह 09:29 से प्रारंभ होगी और 14 जून, बुधवार की सुबह 08:48 तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार 14 जून को योगिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा. वहीं अगले दिन यानी कि 15 जून, गुरुवार की सुबह एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा. 14 जून को सूर्य और बुध वृषभ राशि में रहकर बुधादित्‍य राजयोग बनाएंगे, जिसे ज्‍योतिष में बेहद शुभ माना गया है.

ऐसे करें योगिनी एकादशी व्रत-पूजा 

योगिनी एकादशी व्रत 14 जून, बुधवार की सुबह जल्‍दी स्नान करके पीले रंग के कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें. फिर चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं, भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की तस्‍वीर या म‍ूर्ति स्‍थापित करें. – शुद्ध घी का दीपक जलाएं. भगवान को फूल माला अर्पित करें, तिलक लगाएं. तुलसी दल, फल, मिठाइयां अर्पित करें. योगिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें, आरती करें. फिर अगले दिन ब्राह्मणों को दान करके व्रत का पारणा करें.

योगिनी एकादशी व्रत कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में अलकापुरी राज्य में शिव भक्त कुबेरदेव रहते थे. उनकी नियमित पूजा के लिए हेममाली नाम का यक्ष फूल लेकर आता था लेकिन एक दिन वह पूजा के फूल लाना भूल गया. इससे नाराज होकर कुबेरदेव ने उसे कोढ़ी बनकर पृथ्वी पर रहने का श्राप दे दिया. हेममाली कोढ़ी बनकर पृथ्वी पर रहने लगा. काफी समय बाद वह ऋषि मार्कण्डेय से मिला और उनसे श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा. तब ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा. इस व्रत के प्रभाव से हेममाली का कोढ़ दूर हो गया और फिर से अलकापुरी को लौट गया.