विधायक निधि से कोरोना का इलाज बेमानी: भावना पांडे
विधायक निधि से कोरोना का इलाज बेमानी: भावना पांडे
– आयुष्मान और गोल्डन कार्ड योजनाओं पर उठाए सवाल
– 2022 चुनाव में नेताओं की चमड़ी से दमड़ी निकालेगी जनता
देहरादून। राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने सरकार की आयुष्मान और गोल्डन कार्ड योजनाओं पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के दौरान इन योजनाओं पर सरकार के किये दावे हवाई साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को बताना चाहिए कि सरकारी कर्मचारियों के गोल्डन कार्ड से हासिल हो रहे 45 करोड़ रुपये कहां और किस मद में खर्च किये? उन्होंने मंत्री और विधायकों द्वारा कोरोना के लिए विधायक निधि से एक करोड़ रुपये खर्च करने पर भी सवाल उठाया कि विधायकों ने विकास कार्य ही नहीं किये और अब एक करोड़ रुपये निधि से देने को दान बता रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या विधायक यह राशि देकर जनता पर एहसान कर रहे हैं?
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए आज जब आयुष्मान और गोल्डन कार्ड की सबसे अधिक जरूरत है। यह योजनाएं काम नहंी आ रही हैं। मरीजों को अस्पताल में नकद भुगतान करना पड़ रहा है। ऐसे में इन योजनाओं का औचित्य क्या है? सरकारों ने इन योजनाओं पर खूब वाहवाही लूटी लेकिन अब जनता को इसकी जरूरत है तो योजनाएं काम नहीं आ रही हैं। अधिकांश अस्पताल इन योजनाओं के कोविड मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं। आज मरीज इलाज और दवाओं के लिए भटक रहा है। भावना पांडे ने कहा कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत अपनी विधायक निधि से एक करोड़ का दान देने की बात कर रहे हैं। अब सभी विधायक भी एक करोड़ रुपये अपने निधि से कोविड कार्य करा सकेंगे। उन्होंने कटाक्ष किया कि जब चार साल तक विधायक निधि से विकास कार्य नहीं किये तो यह राशि कोरोना मद में देकर क्या विधायक जनता पर एहसान कर रहे हें?
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि पिछले 20 के दौरान भाजपा और कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों ने प्रदैश का विकास करने की बजाए निजी विकास किया। उन्होंने दोनों दलों से पूछा है कि आखिर सरकार का खजाना खाली क्यों होता है? क्या विधायकों ने प्रदेश में नये अस्पताल बनवाए, नए स्कूल बनवाए, नये कारखाने स्थापित किये, क्या युवाओं के लिए रोजगार नीति बनायी या उनको स्किल्ड बनाने के लिए यह फंड खर्च किया? भोजनमाता, आंगनबाड़ी वर्कर, रोडवेज कर्मचारी, उपनलकर्मी संविदाकर्मी समेत कर्मचारियों को भी समय पर वेतन नहीं मिलता तो फंड कहां खर्च होता है? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी खजाना विधायकों और मंत्रियों की सुख-सुविधाओं पर खर्च किया जाता है। जनता दिनों दिन गरीब हो रही है और नेता दिन दूनी-रात चैगुनी तरक्की कर रहे हैं।
भावना पांडे ने कहा कि आज सचिवालय में 70 प्रतिशत बाहरी लोग हैं। उत्तराखंड के लोगों को मंत्री और विधायक अपना सचिव तो दूर की बात स्टाफ में रखने से भी कतराते हैं। आखिर क्या गुनाह है यहां के मूल निवासियों का। क्या उन्होंने आंदोलन कर राज्य बना दिया, यही गुनाह है। आज उत्तराखंड का युवा बेरोजगार और सरकारी सिस्टम से त्रस्त है। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब कोरोना की मार ने युवाओं को बदहाल कर दिया है। इन युवाओं के बारे में कौन सोचेगा?
भावना पांडे ने भी मीडिया से अपील की है कि वो सकारात्मक समाचारों को महत्व दें। उनके अनुसार मीडिया में नकारात्मक खबरों से ही जनता में पैनिक हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा और कांग्रेस को सबक सिखाने का काम करेगी। जनता विधानसभा चुनाव में इन नेताओं की चमड़ी में से दमड़ी निकालेगी।
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