श्रीलंका में पीएम मोदी और अडानी को लेकर विवाद…….
श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष ने संसदीय समिति के सामने ये बयान दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देश में एक बिजली परियोजना अडानी समूह को दिलवाने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर ‘दबाव’ बनाया था. हालाँकि, इसके एक दिन बाद ही विवाद बढ़ता देख सीईबी अध्यक्ष ने रविवार को ये बयान वापस ले लिया. श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भी इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
इस बयान से भारत में भी विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है- कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी ने इस बयान से जुड़ी एक ख़बर के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए ट्वीट किया है, “बीजेपी की उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुँचाने की नीति अब सरहद पार कर के श्रीलंका तक चली गई है.”
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी श्रीलंका के बिजली प्राधिकरण के प्रमुख के बयान पर बनी ख़बर को शेयर करते हुए सवाल किया है कि क्या ये भ्रष्टाचार नहीं है.
श्रीलंका लंबे समय से गंभीर आर्थिक संकट में डूबा हुआ है. वहाँ खाने-पीने के सामान और पेट्रोल-डीज़ल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को मुश्किल से मिल रही हैं. संकट के इस समय में भारत श्रीलंका को आर्थिक मदद दे रहा है.
श्रीलंकाई बिजली प्रमुख का आरोप और राष्ट्रपति गोटाबाया का जवाब- सीईबी चेयरमैन एम.एम.सी फ़र्डिनांडो ने शुक्रवार यानी 10 जून को सार्वजनिक उद्यमों पर संसद की समिति को बताया कि मन्नार ज़िले में एक विंड पावर प्लांट का टेंडर भारत के अडानी समूह को दिया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर ये सौदा अडानी समूह को देने के लिए दबाव बनाया गया था.
फ़र्डिनांडो ने संसदीय समिति को बताया कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने उन्हें कहा था कि ये टेंडर अडानी समूह को दिया गया है क्योंकि ऐसा करने के लिए भारत सरकार की ओर से दबाव है.
संसदीय समिति के सामने फ़र्डिनांडो को ये कहते सुना जा सकता है, “राजपक्षे ने मुझे बताया था कि वो मोदी के दबाव में हैं.” हालाँकि इसके एक दिन बाद यानी 11 जून की शाम को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, “संसदीय समिति के सामने मन्नार विंड पावर प्रोजेक्ट को लेकर सीईबी चेयरमैन के बयान को मैं सिरे से ख़ारिज करता हूँ. ये प्रोजेक्ट किसी ख़ास व्यक्ति या उद्योग को ध्यान में रखकर नहीं दिया गया है. मुझे भरोसा है कि इस संबंध में विश्वसनीय चर्चा की जाएगी.”
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