Joshimath Sinking: जान खतरे में डालकर स्कूल जाने को मजबूर नौनिहाल, सुध लेने को नहीं कोई तैयार
जोशीमठ। जोशीमठ का पगनो गांव भूस्खलन का दंश झेल रहा है। गांव के कई परिवारों के सर से छत उठ गई है। कई जिंदगियां संघर्षपूर्ण जीवन यापन कर रही हैं। यहां भूस्खलन लगभग दो वर्ष पहले शुरू हुआ था तभी से लोगों ने विस्थापन और पुनर्वास की मांग करना भी शुरू कर दिया था लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। अब निरंतर बढ़ते भूस्खलन के कारण विद्यालय जाने वाले बच्चों का एकमात्र रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है। रास्ते पर निरंतर ऊपर से पत्थर और मलबा गिर रहा है। जिस कारण नौनिहाल अपनी जान को जोखिम में डालकर टूटे-फूटे घरों से विद्यालय तक का सफर तय कर रहे हैं।
जान खतरे में डालकर बच्चे जा रहे स्कूल
ये बच्चे दो से तीन किलोमीटर की दूरी तय कर पढ़ने के लिए विद्यालय पहुंचते हैं। पर रास्ता बहुत खतरनाक है जिस वजह से डर निरंतर बना रहता है। यह गांव का एकमात्र इंटरमीडिएट विद्यालय है। यहां पढ़ने के लिए आसपास के गांव के बच्चे भी आते हैं। विद्यालय के पास आधा किलोमीटर का रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। इस रास्ते पर निरंतर पत्थर और मलबे की बरसात हो रही है। नौनिहालों का कहना है उनके पास पहले रहने के लिए सुरक्षित स्थान नहीं था अब उनकी पढ़ाई भी खतरे से होकर गुजर रही है।
प्रधान संघ अध्यक्ष ने सरकार को घेरा
विकासखंड जोशीमठ के प्रधान संघ अध्यक्ष अनूप नेगी ने मामले पर सरकार को जमकर घेरा कहा कि लोग पिछले दो माह से परेशान हैं। निरंतर राहत की मांग की जारही है। परंतु अभी तक शासन स्तर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि वह बीडीसी बैठक में भी कई बार मामले को उठा चुके हैं। सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है पर ग्रामीण लोगों के हितों को निरंतर दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस भूस्खलन की जद में मात्र एक गांव नहीं है बल्कि भूस्खलन होने से आसपास के गांव भी प्रभावित है। शासन को चाहिए कि जल्द से जल्द कोई ठोस नीति बनाकर इन ग्रामीणों को राहत पहुंचाई जाए।
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