हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम करते समय 10 जरूरी बातों का रखना चाहिए ध्‍यान, जानिए डिटेल

व्यापक और पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस अस्पताल में भर्ती होने के पहले और बाद के खर्चों, एम्बुलेंस भाड़ा, गंभीर बीमारी से जुड़े खर्चों और चुने गए प्लान के आधार पर विविध प्रकार के अन्य खर्चों को कवर कर सकता है. जानिए सही तरीके से कैसे क्लेम करते हैं.

पिछले डेढ़ वर्षों ने स्वास्थ्य की सुरक्षा का महत्व पहले से कहीं अधिक स्पष्ट कर दिया है. इस दौरान यह सत्य और उजागर हुआ है कि बीमारियां, दुर्घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं और अन्य अवांछित स्थितियां कभी भी बिना बताये आ सकती हैं. और ऐसी अप्रत्याशित परिस्थितियां हमें न केवल भावनात्मक रूप से प्रभावित करती हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी कमजोर कर देती हैं. हम खुद को हेल्थ इंश्योरेंस (स्वास्थ्य बीमा) से सुरक्षित कर इस आर्थिक दबाव से बच सकते हैं. इससे स्वास्थ्य संबंधी आकस्मिकता को आर्थिक संकट बनने से रोकता है.

 

व्यापक और पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस अस्पताल में भर्ती होने के पहले और बाद के खर्चों, एम्बुलेंस भाड़ा, गंभीर बीमारी से जुड़े खर्चों और चुने गए प्लान के आधार पर विविध प्रकार के अन्य खर्चों को कवर कर सकता है. ज़रुरत आने पर दावा की प्रक्रिया किसी भी ग्राहक के लिए किसी बीमा पॉलिसी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है. इसलिए, दावा प्रक्रिया (क्लेम प्रोसेस) को समझना उतना ही आवश्यक है जितना कि बीमा सुरक्षा खरीदना. जानकारी होने से दावा प्रक्रिया को बाधारहित और तनावमुक्त बनाने में मदद मिल सकती है.

परेशानी रहित दावा निपटान के लिए पॉलिसी की बुनियादी समझ आम तौर पर मददगार होती है. नीचे कुछ चीजों की सूची दी जा रही है जिन पर दावा प्रक्रिया के दौरान ध्यान देना चाहिए :

इन चीजों में कोई चूक नहीं करें :

1 – मेडिकल इमरजेंसी के बाद अपने बीमा कंपनी/ नियुक्त टीपीए को सूचित करना ज़रूरी होता है. अगर अस्पताल में भर्ती पहले से नियोजित है तो कैशलेस इलाज की योजना के लिए अग्रिम सूचना दे सकते हैं.

2- सूचना बीमा कंपनी / टीपीए द्वारा दिए गए फ़ोन नंबर, ईमेल, इसएमएस, ऐप्स और अन्य प्लैटफॉर्म्स पर दी जा सकती है.

3- सूचना देने के बाद आपको एक क्लेम नंबर (दावा संख्या) मिलेगी. आपके लिए भविष्य में अपना क्लेम जमा करने / पूछताछ करने का महत्वपूर्ण लिंक है.

4- दावा प्रपत्र (क्लेम फॉर्म) को सही जानकारी के साथ पूरी तरह भरना ज़रूरी है. आपके लिए फॉर्म में पूछे गए सभी प्रासंगिक तथ्यों को बताना आवश्यक है. सभी आवश्यक सहायक जानकारी मुहैया की जानी चाहिए.

5- सभी रसीदों और बिलों की मूल प्रति (ओरिजिनल कॉपी) जमा करनी चाहिए. अपने रिकॉर्ड के लिए क्लेम फॉर्म और रसीदों की कॉपी रख लेनी चाहिए.

6- सभी मेडिकल जाँच रिपोर्ट, परामर्श सम्बन्धी कागजात की मूल प्रति जमा करना सुनिश्चित करें. अगर आपको इन कागजों की दीर्घकालिक/ आवर्ती उपचारों के लिए ज़रुरत है तो बीमाकर्ता से उन्हें वापस कर देने का अनुरोध किया जा सकता है.

7- पॉलिसी दस्तावेजों में उल्लिखित दावा प्रक्रिया का हमेशा पालन करना आवश्यक है.

8- क्लेम फॉर्म और कागजात सही जगह पर जमा करना चाहिए. अगर पॉलिसी की सेवा टीपीए के माध्यम से की जा रही है तो कागजात टीपीए के पास जमा करें, अन्यथा प्रत्यक्ष सेवा के मामले में बीमा कंपनी के सम्बंधित कार्यालय में जमा करें. अनेक मामलों में बीमा अभिकर्ता/ब्रोकर दस्तावेजों का संग्रह और जमा में मदद करते हैं.

9- अधिकांश बीमा कंपनियाँ दावा की राशि के प्रेषण में आसानी के लिए पहचान का प्रमाण, केवाईसी कागजात और बैंक खाते का विवरण (बैंक का नाम/ISF कोड) माँगती हैं. कुछ मामलों में रद्द किया हुआ चेक (कैंसेल्‍ड चेक) भी मांगा जाता है.

10 – इन चीजों से बचें :

> दावे की सूचना देने में देरी.
> क्‍लेम फॉर्म में गलत, अपूर्ण और भ्रामक जानकारी देना.
> किसी तृतीय पक्ष के मार्फ़त क्‍लेम फॉर्म जमा करना, जो बीमा कंपनी द्वारा मान्यता-प्राप्त नहीं है
क्‍लेम फॉर्म के महत्वपूर्ण खण्डों को खाली छोड़ देना.

थोड़ी सी दूरदृष्टि और योजना से हेल्थ इंश्योरेंस का दावा करना सरल और सहज बन सकता है. उपर्युक्त कदमों के अनुसरण से निश्चित रूप से क्‍लेम को फौरन प्रोसेस कराने में बीमाकर्ता को मदद मिल सकती है. इसके फलस्वरूप आपको सबसे अधिक ज़रूरत के वक्त में जल्दी भुगतान मिल जाता है.

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