अचार संहिता के बहाने प्रतिदिन पर दी गयी प्रशाद आदि की दुकानों की अवधि समाप्त,ठेका प्रकिर्या शून्य।*
कलियर रिपोटर अनवर राणा
सहसंपादक अमित मंगोलिया
दरगाह की प्रशाद वाली छः दुकानों,हलवा सोहन हलवा की दुकानों एवं टूव्हीलर,पार्किग,शौचालय आदि की प्रतिदिन की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद भी अभी तक दरगाह प्रशासन ने वार्षिक ठेको को छोड़ने की प्रकिर्या शुरू नही की है।दरगाह प्रशासन के इस रवैये से दरगाह की आय को लाखों रुपये का चुनना जानबूझकर लगाया जा रहा है जबकि प्रदेश में आचार संहिता हटने को भी पूरा महीना बीत चुका है।ऐसा भी नही था कि प्रदेश में आचार संहिता लागू होने से पूर्व वार्षिक ठेको को छोड़ने का दरगाह प्रशासन को कोई मौका नही मिला था।बल्कि ठेको को छोड़ने में दरगाह प्रशासन ने कोई रुचि नही ली और दरगाह के वार्षिक ठेको को प्रतिदिन के हिसाब से अपने चहेते ठेकेदारों से सुविधा शुल्क लेकर दो महीने की चन्द रुपयों में रशीद काट कर दरगाह को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया गया है।अब पूरे क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार यह है कि कहीं दरगाह प्रशासन की मिलीभगत से दरगाह के वार्षिक ठेको में बड़ा खेल खेलकर दरगाह प्रशासन के कारिन्दे पूरा वर्ष ही अपने चहेतों की मार्फ़त प्रतिदिन के हिसाब से ही चलवाकर ठेको से होने वाली करोड़ो रूपये की आमदनी को नेस्तनाबुद करने की कार्यवाही को ही अंजाम जनभुझ कर अमल में न ले दें।दरगाह प्रशासन ने बीते वर्ष 2018 व 2019 के वार्षिक कुछ ठेकेदारों को लाभ पहुंचकर सुविधा शुल्क वसूलकर दरगाह के करोड़ो रूपये बकाया पेमेंट को ठेकेदारों के पेट मे पहुंचाया गया है।यही नही बकाया ठेकेदारों के द्वारा जमानत के तौर पर दरगाह कार्यालय में दिए गए दो दो ब्लेंक चेक भी सोची समझी साजिश के तहत बैंक में नही लगाए गए और नाही उन बकाया ठेकेदारों पर कोई दण्डात्मक कार्यवाही अमल में लायी गयी ।जिसकी चर्चा क्षेत्र में आग की तरह फेल रही है कि दरगाह प्रशासन के करिन्दों की मिलीभगत से ही दरगाह साबिर पाक के बकाया करोड़ो रूपये हजम करने में भी दरगाह प्रशासन का पूरा हाथ होने की आशंका से मना नही किया जा सकता।अब बड़ा सवाल यह है कि जब ठेका छूटने के बाद दरगाह प्रशासन जमानत के तौर पर प्रति ठेकेदार से ब्लेंक चेक लिए जाते है तो फिर बकायादार ठेकेदारों के चेक बैंक में क्यों नही लगाकर कार्यवाही की जाती है,यही वजह दरगाह प्रशासन की मिलीभगत को जगजाहिर करती नजर आ रही है।दरगाह प्रबंधक सफीक अहमद से बात की गई तो इस सम्बंध में उन्होंने कोई प्रतिकिर्या देने से मनाकर दिया।*
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