ऋषि मुनियों द्वारा मानवता को योग अनमोल उपहार के रुप में प्राप्त हुआ
सह सम्पादक अमित मंगोलिया भगवानपुर प्रभारी मौ मुकर्रम मलिक
रुड़की शहर विधायक प्रदीप बत्रा ने शहर में देहात क्षेत्र के नागरिकों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एसडी डिग्री कॉलेज के मालवीय चौक के समीप स्थित मैदान में आयोजित हो रहे योग में अधिक से अधिक संख्या में सम्मलित होने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि योग हमारे ऋषि-मुनियों का दिया हुआ अनमोल तोहफा है। योग सही तरह से जीने का विज्ञान है और इस लिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक, आदि सभी पहलुओं पर काम करता है। योग का अर्थ एकता या बांधना है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द युज, जिसका मतलब है जुड़ना। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बँध, षट्कर्म और योग के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है। तो योग जीने का एक तरीका भी है और अपने आप में परम उद्देश्य भी। रुड़की शहर विधायक प्रदीप बत्रा ने कहा है कि यह सच है कि सुविधाएं आपको स्वस्थ नहीं बना सकतीं। आज लोग दवाओं के सेवन से आजिज आ चुके हैं। दरअसल, दवाएं अक्सर आपको पूर्णतया ठीक नहीं करतीं बल्कि तात्कालिक उपचार भर करने में मदद करती हैं। यकीनन दवा के बिना भी स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं। यह सुनने में अजीब बात लग सकती है पर ऐसा हो रहा है। दुनिया के बड़े चिकित्सक, शोध संस्थान भी यह मान रहे हैं कि विचारों को सकारात्मक दिशा देकर स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव किया जा सकता है जो कि योग और ध्यान से संभव है। यदि योग करते हैं तो आप महसूस कर सकते हैं कि महज अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करने से यानी प्राणायाम करने से शरीर का दर्द भी दूर हो जाता है। अगर दर्द भी रहता है वह सामान्य होता जा रहा है। यदि योग नियमित करते रहें तो आप पाएंगे कि एक दिन तनाव पैदा करने वाले रोजमर्रा के कारक खुद-ब-खुद आपसे दूर जाने लगे हैं
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