अफसरशाही के चंगुल में फंसी है त्रिवेंद्र सरकार: भावना पांडे
अफसरशाही के चंगुल में फंसी है त्रिवेंद्र सरकार: भावना पांडे
जनता की तो छोड़ो, नेता की भी नहीं सुनते अफसर
ऐसी सरकार किस काम की, सीएम संज्ञान लें
देहरादून। राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा है कि प्रदेश में अफसर निरंकुश हो गये हैं। बाहरी अफसर की इतनी मनमानी बढ़ गयी है कि वो जनता की बात तो दूर नेताओं और विधायकों की भी नहीं सुनते। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से अपील की है कि कुआऊं और गढ़वाल में उन्हीं अधिकारियों की तैनाती की जाए जिनकी भावना पहाड़ के प्रति अच्छी हो।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि कुमाऊं के कुछ छात्र संगठनों के नेता उनसे मिले और शिकायत की कि कुमाऊं के अधिकारी फोन नहीं उठाते। रविवार को तो उनका फोन बंद हो जाता है। अफसर जनता की सुनते ही नहीं। भावना पांडे ने कहा कि मुख्यमंत्री को इसका संज्ञान लेना चाहिए। जरूरी यह है कि पर्वतीय जिलों में बाहरी अधिकारियों की पोस्टिंग न हो। पहाड़ के अधिकारियों की यहंा तैनाती की जाए। उन्होंने कहा कि विडम्बना है कि इस प्रदेश में युवाओं और महिलाओं की सुनवाई नहीं हो रही है।
भावना पांडे ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि गंगोलीहाट के विधायक बिशन सिंह चुफाल ने विधायक निधि का एक करोड़ 24 हजार रुपये खर्च ही नहीं किया। यही हाल खटीमा के विधायक पुष्कर धामी का है। ये विधायक इस निधि को क्यों नहीं खर्च करते? खर्च करें भी कैसे? कोई अधिकारी इनकी सुनता ही नहीं है। ऐसी सरकार का लाभ क्या? जो बाहरी लोगों को सपोर्ट करे और हमारी जनता तो क्या विधायकों की भी न सुने? भावना पांडे ने चुटकी ली कि जब विधायकों की नहीं सुनी जा रही, जनता की नहीं सुनी जा रही है तो ऐसी सरकार का क्या करना है? उन्होंने खुद से उदाहरण दिया कि त्रिवेंद्र सरकार में मंत्री कितने बौने हैं कि उनकी एक डीएफओ भी नहीं सुनता। उन्होंने कहा कि एक मंत्री ने डीएफओ आकाश वर्मा को फोन करवाया तो उसने वो काम उल्टा ही कर दिया। पैनाल्टी पड़नी थी 25 हजार की तो उसने साढ़े सात लाख की पैनाल्टी लगा दी। उन्होंने कहा कि अफसरों में जबरदस्त अहंकार है। सचिवालय में फाइलों का ढेर लगा है और कोई सुनवाई नहीं है। इससे जनता की समस्याएं दिनों-दिन बढ़ रही हैं।
भावना पांडे ने मुख्यमंत्री से अपील की कि
तत्काल प्रभाव से उन अधिकारियों को पोस्टिंग की जाए जिनकी भावना पहाड़ के प्रति अच्छी हो। उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार को अफसरों को सख्त हिदायत देनी चाहिए कि यदि जनता के शिकायतों की सुनवाई नहीं करोगे तो नपोगे।
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