बिहारी महासभा ने धूमधाम से किया सरस्वती पूजा का आयोजन
देहरादून राजपुर रोड के शिव बाल योगी आश्रम में बिहारी महासभा ने धूमधाम से किया सरस्वती पूजा का आयोजन
वैश्विक बीमारी कोरोना और चमोली हादसा के कारण नहीं हुआ भव्य आयोजन अध्यक्ष ने कहा अगले साल करेंगे भव्य आयोजन
वैश्विक बीमारी कोरोना को ध्यान में रखते हुए इस बार बिहारी महासभा ने सरस्वती पूजा के आयोजन में कोरोना की बारीकियों को देखते हुए संक्षिप्त रूप से पूजा का आयोजन किया। बिहारी महासभा ने 2 गज दूरी और मास्क है जरूरी के नारे के साथ चमोली दैवीय आपदा में मृत लोगों को सर्वप्रथम श्रद्धांजलि दी। और बाबा केदारनाथ बद्री विशाल से प्रार्थना की देवभूमि उत्तराखंड में इस प्रकार की त्रासदी ना आए वही बिहारी महासभा के पदाधिकारियों ने सैनिटाइजर मास्क और 2 गज की दूरी का प्रयोग करते हुए सरस्वती पूजा का आयोजन किया।
देहरादून के शिव बाल योगी आश्रम में बिहारी महासभा द्वारा सरस्वती पूजा मनाया गया बिहारी महासभा के सदस्यों ने प्रातः मूर्ति की स्थापना की और सरस्वती पूजा का कार्यक्रम सादे रूप से मनाया ।
शिव बाल योगी ट्रस्ट महाराज के प्रांगण में बाबा श्री शिव बालयोगी के सानिध्य में 2 घंटे मां सरस्वती का भजन कीर्तन का विशेष आयोजन किया। कोरोना काल में मां सरस्वती की पूजा का विशेष ध्यान रखा गया।
सभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि माघ शुक्ल की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी कहते हैं और इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सवर जाती है । खेतों में सरसों के पीले फूलों की चादर बिछी होती है और कोयल की कूक उनसे दसों दिशाएं गुंजायमान होती है । बसंत पंचमी को मां सरस्वती का दिन माना जाता है इसी दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है।
कैसे हुई बसंत पंचमी की शुरूआत
सचिव चंदन कुमार झा ने बताया कि बसंत पंचमी को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन ही तुम्हारी पूजा और आराधना की जाएगी ।
क्यों खास है बसंत पंचमी
महासभा के कोषाध्यक्ष रितेश कुमार ने कहा की इसमें विवाह निर्माण और अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं ऋतु के इस संधि काल में ज्ञान और विज्ञान दोनों का वरदान मिलता है । संगीत कला और अध्यात्म का आशीर्वाद भी इसी काल में लिया जा सकता है अगर कुंडली में विद्या बुद्धि का योग नहीं है या शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसे ठीक किया जाता है।
बसंत पंचमी पर ग्रह मजबूत करने के 10 महत्वपूर्ण उपाय
कुंडली में अगर बुध कमजोर है तो बुद्धि कमजोर हो जाती है ऐसी दशा में मां सरस्वती की उपासना करें माँ को हरे फल अर्पित करें और तो लाभदायक होगा बृहस्पति के कमजोर होने पर विद्या प्राप्त करने में बाधा आती है , ऐसे में बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करें पीले पुष्प और पीले फलों से मां की उपासना करें साथ अगर शुक्र कमजोर हो तो मन की चंचलता भी होती है। कैरियर का चुनाव भी नहीं हो पाता ऐसी दशा में आज के दिन मां की उपासना करें सफेद फूलों से मां की उपासना करें
बसंत पंचमी के मौके पर आज विधि विधान से राजपुर रोड स्थित श्री शिव बाल योगी महाराज के पावन सानिध्य में मां शारदे का पूजन किया गया इस दौरान साहित्य संगीत से जुड़े कलाकार मां सरस्वती का पूजा कर रहे हैं तो वहीं नन्हे बच्चों का विद्यारंभ व अन्य संस्कार भी किया जा रहा है। इस मौके पर मंदिर में विशेष पूजा हवन का आयोजन भी किया गया ।
बसंत पंचमी को लेकर देहरादून के शहर में अलग-अलग उत्साह देखने को मिला आज मंगलवार को मां शारदे के पूजन के लिए भक्तों द्वारा कई आयोजन किए गए देहरादून के शिव बाल योगी आश्रम में बसंत पंचमी का यह कार्यक्रम बड़े धूमधाम से मनाया गया ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा की बात हो और उनकी वंदना या वंदना गीत ना हो ऐसा संभव नहीं है।
मां सरस्वती की वंदना का महत्व प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में रहा है यही कारण है कि उनकी वंदना के ज्यादातर श्लोक संस्कृत में है हिंदी के मूर्धन्य कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने जब वीणावादिनी वर दे की रचना की तब से ही लोग हिंदी में उनका वंदना करने लगे सरस्वती पूजा के मौके पर पूरे उत्तराखंड में सरस्वती मंदिर पूजा स्थलों में मां सरस्वती की पूजा की गई मां सरस्वती की अस्थाई मूर्ति स्थापित करने वाले लोग सोमवार की शाम को मिट्टी की मूर्तियां लाकर सजाना शुरू कर दिए थे मंगलवार को विधिवत पूजा के दौरान मां सरस्वती आरती वंदना और भजन भी गाया।
बिहारी महासभा ने की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा
बिहारी महासभा के तत्वाधान में मिट्टी के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई मिट्टी की मूर्ति विशेष रूप से हरिद्वार से मंगाई गई थी और जिसको प्राण प्रतिष्ठा की गई यह प्राण प्रतिष्ठा और आस्थाई रूप से किया गया है मूर्ति की पूजन विधि से करके कल हवन का आयोजन कर मूर्ति का विसर्जन मालदेवता नहर में कर दिया जाएगा।
पीले वस्त्र पीले फूल और पीले प्रसाद है मां को प्रिय
बिहारी महासभा के इस कार्यक्रम में कार्यक्रम में मौजूद सभी धार्मिक लोगों ने आज पीले वस्त्र ग्रहण किए थे महिलाएं बच्चे और सभी लोगों ने पीले वस्त्र पहनकर पूजा संपन्न किया इसके बाद पीले प्रसाद का भोग लगाया गया और मां को भी पीले वस्त्र पहना कर पूजा अर्चना की गई पीला रंग मां सरस्वती को बहुत प्रिय है इस कारण बिहारी महासभा ने ध्यान रखा कि पीला वस्त्र पीले प्रसाद पीला भोग जो कुछ मां को प्रिय है वही व्यवस्था की जाए। बिहारी महासभा के बसंत पंचमी कार्यक्रम में सभा के अध्यक्ष ललन सिंह सचिव चंदन कुमार झा कोषाध्यक्ष रितेश कुमार पूर्व अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह श्री रंजन कुमार,, बिनय् सिंह,कार्यकारिणी सदस्य आलोक कुमार सिन्हा डीके सिंह उपाध्यक्ष विद्या भूषण सिंह धर्मेंद्र ठाकुर गणेश साहनी रघु साहनी विनय कुमार सुरेश ठाकुर गणेश साहनी अमरेंद्र कुमार के अलावे सैकड़ों सदस्यों ने प्रतिभाग किया।
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