श्रम अफसरों को ये अधिकार दिया किसने……?
श्रम अफसरों को ये अधिकार दिया किसने?
श्रम कार्ड बनाने बाले मजदूरो से पूछ रहे तसला ढो सकते हो
चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून।भले ही उतराखण्ड सरकार का मकसद मजदूरों के श्रम कार्ड बना कर उंन्हे सरकार द्वारा संचालित योजनाओ का सत प्रतिसत लाभ दिलाना हो। मगर श्रम कार्ड पाना इतना आसान नही है। बिभाग के कुछ कर्मि और कार्ड प्रिंट करने वाली साफ्टबेयर कंपनी के कर्मचारी अब लेबर कार्ड बनवाने वाले मजदूरों से ही सवाल जबाब तक करने लग गए है। प्रश्न यह है कि आखिर श्रम अफसरों को यह अधिकार दिया किसने?यही नही मिलने वाले लाभ से भी कमीशन की डिमांड कर रहे है। हालांकि ये ऐसा नही कर सकते। कई श्रमिको ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि श्रम बिभाग ऋषिकेश ऑफिस में सत्यापन होने के बाद जब वे कार्ड लेने गए तो वहाँ बैठे कर्मियों द्वारा पूछा गया आप तसला ढ़ो सकते हो ? ठेकेदार का रजिस्ट्रेशन लाओ ? इतना बड़ा ग्राउंड है इसको साफ करना है कर सकते हो ? नब्बे दिन कहां काम किया ? जैसे तमाम सवाल हो रहे है। एक अन्य ने बताया कि बिटिया की शादी को मिले धन से तीस से चालीस प्रतिसत हिस्सा बिचौलियों द्वारा मांगा गया। हालांकि श्रम बिभाग के श्रम अधिकारी राम छट्टू ने बताया कि ऐसे सवाल पूछने का किसी को अधिकार नही।सिर्फ फार्म भरते समय जो जानकारी मजदूर द्वारा दी गई है की वह किस प्रकार की मजदूरी करता है वह फार्म के ऊपर लिखकर उंन्हे कार्ड दे देना है। ऋषिकेश के कर्मियों को साफ कह दिया गया है कि अगर इस प्रकार की शिकायत आई तो सीधे कार्रवाई की जाएगी। भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा मजदूरों के जीवन की बेहतरी के लिए बिटिया की शादी के लिए,शौचालय निर्माण के लिए,बच्चो की पढ़ाई,मकान की रिपेयरिंग,डिलिबरी को धनराशि दी जाती है यही नही साठ साल बाद मजदूर पेंशन सहित दर्जनों छोटे-बड़े ऐसे लाभ दिए जाते है। लेकिन कुछ भ्रस्ट कर्मियो के कारण सरकार के जीरो टालरेंस पर भी सवाल खड़े हो रहे है।
कार्ड देने में नही कर सकते सवाल
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श्रम अधिकारी की माने तो जिन मजदूरो का सत्यापन हो गया है और वह अपने कार्ड लेने कार्यालय आये तो उनसे किसी भी प्रकार का सवाल नही किया जा सकता,सिर्फ कागज लेकर उनको कार्ड दिया जाना है।
दलाल भी सक्रिय
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मजदूरों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए श्रम कार्ड बनवाने के लिए हालांकि अब बिभाग ने सीएससी सेंटरो को अधिकृत किया है। लेकिन यहाँ भी बिचौलिए दलाल सक्रिय हो गए है। कार्ड का रजिस्ट्रेशन के लिए सात सौ से लेकर एक हजार तक बसूल कर रहे है।
चल रही है जांच
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श्रम बोर्ड में हुए परिवर्तन के साथ बोर्ड में चल रही योजनाओं में हुई धांधली की जांच भी चल रही है। फर्जी कार्ड बनाकर करोड़ो रुपये डकारे ही नही गए बल्कि, मजदूरों के लिए हुई खरीद में खपले घोटाले सामने आ रहे है।
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