देवेश आदमी के साथ मजबूती से खड़े होने का वक्त
ओ बेईमान इंजीनियरो, शर्म मगर तुमको आती नहीं
देखना, तुम्हारे बच्चे तुम्हारे पापों की सजा भुगतेंगे
देवेश आदमी के साथ मजबूती से खड़े होने का वक्त
गुणानंद जखमोला की कलम से
लोक निर्माण विभाग के डिप्लोमा इंजीनियर आज कुछ देर बाद देहरादून में प्रमुख इंजीनियर का घिराव करेंगे। घेराव इस बात के लिए दुगड्डा के दो इंजीनियरों को सीएम के आदेश के बाद क्यों निलंबित किया। दरअसल, यह दबाव बनाने का तरीका है। बेईमान इंजीनियर जानते हैं कि कई और सड़कों की पोल खुलेगी। कई और पर गाज गिरेगी। तो इससे पहले कि उनके खिलाफ जनांदोलन हो या लोग मुखर हों, पहले ही दबाव बना दो ताकि बड़े अफसर कार्रवाई न करें। वैसे भी करेंगे कैसे? दोनों इंजीनियर का निलंबन दुगड्डा-मैदावन-हल्दूखाल मोटर मार्ग के डामरीकरण में अनियमिता को लेकर हुआ।
सामाजिक कार्यकर्ता देवेश आदमी ने एक वीडियो में दिखाया कि किस तरह से यह सड़क बनी। इस सड़क का हाल देख कोई भी बता सकता है कि जनता का पैसा ठेकेदार और इंजीनियरों ने मिलकर लूट लिया। केस भ्रष्टाचार का ही नहीं लूटपाट और डकैती का भी बनता है। ब्रीच आफ फेथ का भी बनता है। सही मायने में राजद्रोह का भी। देवेश का दावा है कि जिस ठेकेदार दिनेश रावत ने सड़क बनाई, लोक निर्माण विभाग ने उससे 30 प्रतिशत रिश्वत मांग ली गयी थी। जनप्रतिनिधि ने भी कुछ मांग लिया होगा। एक-दो प्रतिशत जनप्रतिनिध का भी तय रहता है। बाबू से लेकर एकाउंटेंट तक का भी हिस्सा होता है। यानी कि लगभग 50 प्रतिशत तो रिश्वत और कमीशनखोरी में चला गया। 10 प्रतिशत मेहनत का भी बनता है। तो बजट का 60 प्रतिशत तो बिना काम के ही निकल गया। 40 प्रतिशत में ऐसी ही सड़क बनेगी।
भ्रष्टाचार हमारे खून में मिल चुका है, आंखों से शर्म गायब हो चुकी हे। वो ये भी जानते हैं कि कोई उनका विरोध नहीं करेगा। कोई आवाज उनके खिलाफ नहीं उठेगी। जनता का जमीर मर चुका है। देवेश आदमी जैसे लोग कितने हैं और कितने देवेश के साथ खड़े होंगे। यही कारण है कि भ्रष्ट इंजीनियरों के समर्थन में सारे चोर -डकैत मिलकर चीफ इंजीनियर का घिराव करेंगे। चोर जानते हैं कि सुनवाई डकैत करेगा तो जीत उनकी ही होगी। लेकिन ये भूल जाते हैं कि वक्त बहुत बलवान होता है। अति हमेशा खराब होती है। इंजीनियरो याद रखना तुम्हारे बच्चे तुम्हारे पापों की सजा भुगतेंगे। हो सकता है कि किसी का बेटा या परिजन उसी भ्रष्टाचार की उसी सड़क पर दम तोड़ दे। ईश्वर और प्रकृति दोनों बदला लेते हैं। शर्म करो, कुछ तो डरो ऊपरवाले के कहर से।
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