तीरथ Vs त्रिवेंद्र: ऐसी बयानबाजी की जरूरत क्यों पड़ी?

तीरथ Vs त्रिवेंद्र: ऐसी बयानबाजी की जरूरत क्यों पड़ी?

 

देहरादून । नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत। और उनके फैसले। सवाल उठ रहा है कि क्या तीरथ सिंह फैसले लेने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं या पुरानी सरकार के फैसले बदलने के लिए?

सवाल सिर्फ इसलिए पैदा हुए क्योंकि तीरथ सिंह रावत ने दो दिन पहले कोविड के तहत दर्ज मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया था। अचानक दो दिन बाद उनका बयान आया कि कोविडकाल में उन लोगों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए गए जिन्होंने लोगों की मदद की थी। यानि जिन लोेगों ने कोविडकाल में भोजन व दवाएं व अन्य सामान जरूरतमंदों को उपलब्ध करवाया।

अब इस बयान के मतबल निकाले गए और निकाले भी जाने चाहिए। आखिर तीरथ सिंह को ये बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी, या इस बयान को देकर वे क्या कहना चाहते थे? ये बयान पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ ही माना गया। मायने साफ थे कि कोविडकाल में जो मुकदमे दर्ज किए गए वो गलत लोगों पर गलत किए गए।

इसके बाद आज पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान आया कि कोविडकाल में हरिद्वार महाकुंभ को इतना खुल्लम खुला करना ठीक नहीं हैं। देश कोरोना से जूझ रहा है और अब कोविड के मामले दोबारा बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में पाबंदियां हटाना ठीक नहीं।

दोनों बयानों का मतलब समझ लीजिए। इतना समझिए कि दोनों नेता एक दूसरे के खिलाफ बयान देने लगे हैं। इन बयानों का मतलब एक ही है कि दोनों एक दूसरे से सहमत नहीं हैं, और एक दूसरे के खिलाफ इन दोनों नेताओं के गुट अलग अलग राय रखते हैं।

ऐसा क्यों है?

  • डॉ. अजय ढौंडियाल, वरिष्ठ पत्रकार।  साफ माना जाना चाहिए कि दोनों राजनीतिक विरोधी हैं। इसीलिए विरोधाभासी बयान दे रहे हैं। नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह को ऐसा बयान देने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी कि कोविडकाल में लोगों की मदद करने वालों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हुए। ये बात तो यही साबित करती है कि वे त्रिवेंद्र के खिलाफ बोल रहे हैं।
  • जय सिंह रावत, वरिष्ठ पत्रकार। किसी भी सरकार के किसी भी राजनीतिक दल को ले लीजिए। इनकी परंपरा यही रही है। ये अपनी तारीफ करते हैं और पुराने की भर्त्सना। बीजेपी की स्वामी सरकार हो या कांग्रेस की हरीश रावत सरकार। यही तो हुआ है। ये तमाम सरकारों के हर्ताकर्ता यही काम करते आए हैं। इससे प्रदेश जूझता रहा है और प्रदेश की जनता ठगी जाती रही है। 
  • चारू तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार। इसमें नया क्या है। वर्तमान मुख्यमंत्री ने जो फैसले लेने की कोशिश की है, निसंदेह उनकी तारीफ हो रही है। लेकिन पुराने मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी और पुराने मुख्यमंत्री की उनके फैसलों के खिलाफ बयानबाजी तो राजनीति के खेल को बयां करती है। भई, खेल मत करो। चिंता जनता की और प्रदेश की करो। 
  • राजेश डोबरियाल, वरिष्ठ पत्रकार। मानता हूं कि जो बयानबाजी एक दिन में हुई वो भयानक भी है, और निंदनीय भी। आप दोनों जो राजनीति कर रहे हो उसको तुम जानों, पर प्रदेश और जनता को गुमराह मत करो। तीरथ नए मुख्यमंत्री हैं, उनको फैसले लेने पर जोर देना चाहिए न कि पुराने मुख्यमंत्री के फैसलों पर। फैसले बदले भी जाएंगे, नए भी लिए जाएंगे, लेकिन बयानबाजी अगर एक दूसरे पर होगी तो नुकसान तुमको ही होगा।

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