पुरानी पेंशन के बिना मजबूत नहीं महिलाएं
पुरानी पेंशन के बिना मजबूत नहीं महिलाएं
कोटद्वार। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की प्रदेश महिला उपाध्यक्ष योगिता पन्त ने प्रदेश की समस्त महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि सरकार को पुरानी पेंशन बहाली के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए । हिमालय से कलेजे को लेकर इस राज्य के विकास का बोझ ढोती महिलाओं के साथ किसी सरकार ने न्याय नही किया । बड़ी आशाओं और उम्मीदों के साथ एक सुंदर सुनहरे उत्तराखण्ड का सपना देखा गया था । जिसमे आस थी कि स्त्रियों को देवियों के रूप में पूजे जाने वाले उत्तराखंड में स्त्रियों की दशा सुधरेगी पर अपनी किस्मत की लकीरों से लड़ने के बाद भी सरकारी नौकरी हासिल करने वाली महिलाएं पुनः वृद्धावस्था में गुज़ारे के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। पुरानी पेंशन एक कर्मचारी के साथ साथ महिला कर्मचारियों के लिए इसलिए आवश्यक हो जाती हैं क्योंकि स्त्रियों को औसत आयु पुरुषों की तुलना में अधिक है। जिसके कारण स्त्रियों के सम्मानजनक जीवन के गुज़ारे लायक राशि उन्हें उपलब्ध हो पाती।योगिता पन्त ने बताया कि राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के संगठन के साथ काम करते हुए मैंने पाया है कि भविष्य में आर्थिक रूप से निर्भरता की चिंता से किस प्रकार महिला कार्मिको को सताए हुए है। आज हमारे हाथ पांव सलामत है शरीर मे ऊर्जा है लेकिन भविष्य में ये सब नही होगा। तब कैसे अपनी स्वास्थ्य व जीवन स्तर की जरूरतें पूरी होंगी। आज नई पेंशन योजना में सेवानिवृत कार्मिकों राज्य में महिलाओं ने लगातार आंदोलनों में अपनी भूमिका को मजबूती से निभाया है और आज भी पुरानी पेंशन बहाली के लिए सब महिलाएं सड़को पर आ रही हैं । सरकारे समझ जाएं कि यदि अपनी मांगो के लिए स्त्रियां सड़को पर आ गई तो सम्भवतः एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इसलिए समय रहते महिला कार्मिकों के बुढापे को पुरानी पेंशन की सुरक्षा से आच्छादित कर। राज्य निर्माण के सपनो को साकार किया जाय । लगातार महिलाओं ने प्रत्येक तरह से मेहंदी लगाकर, पोस्टर के माध्यम से, उपवास रखकर, काला दिवस मनाकर फेसबुक ,ट्विटर के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर चुकी हैं। लेकिन सरकार ने सिद्ध कर दिया है कि हमें अब सड़को पर आना ही पड़ेगा और हम सड़को पर आ चुके हैं ।यदि अब सड़क की आवाज़ सदन तक पहुंच अगर नही पहुंची तो याद रखा जाए कि ये राज्य तीलू रौतेली और जियारानी की धरती है जहां सदा से अन्याय के खिलाफ लड़ती रही हैं।मोर्चे के संयुक्त मण्डलीय संयुक्त मंत्री सौरभ नौटियाल ने कहा कि संयुक्त मोर्चा एक मात्र राज्य का ऐसा सङ्गाठन हहै जिसमे महिलाओं की भूमिका सदैव अग्रणी रही है। पुरानी पेंशन आंदोलन को धार देने में महिलाओं ने सदैव अद्वितीय योगदान दिया है और आशा है आगे भी महिलाओं के जज्बे से ही लड़ाई को अंजाम मिलेगा। प्रदेश अध्यक्ष सीताराम पोखरियाल ने कहा कि जिस प्रकार किसी यज्ञ की पूर्णाहुति बिना महिलाओं के पूर्ण नही होती उसी प्रकार पुरानी पेंशन बहाली के इस आंदोलन महायज्ञ में महिलाओं के योगदान पूर्णाहुति के बिना पुरानी पेंशन की बहाली नही होगी। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के हक़ की लड़ाई के कारण शुरू हुआ था आज इस महिला दिवस पर हम मांग करते हैं कि पुनः महिला कार्मिकों को उनके आत्मसम्मान के अधिकार को लौटाकर पुरानी पेंशन की बहाली की जाए। 7 मार्च को हज़ारों कार्मिकों की आक्रोश रैली के बाद कोटद्वार कार्यकारिणी ने उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा और पुरानी पेंशन पर सरकार से बहाल की मांग की। कोटद्वार इकाई के अध्यक्ष योगेश रूवाली ने कहा कि अभी आंदोलन प्रतीकात्मक स्वरूप है शीघ्र इसके उग्र रूप लेने की स्थितियां नज़र आ रही हैं। अतः सरकार से निवेदन है कि पुरानी पेंशन बहाली पर शीघ्र कोई निर्णय लिया जाय। ज्ञापन सौंपने वालो में संयुक्त मोर्चे से डॉ योगेश रूवाली, शिवा नेगी, पुष्कर, कमल किशोर शर्मा, महिंदर कुमार, अरुण कुमार, प्रदीप डोभाल, सरदार नरेश सिंह आदि साथी उपस्थित रहे।
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