उत्तराखंड ड्रग रैकेट में पुलिसकर्मियों की भी संलिप्तता आई सामने
उत्तराखंड ड्रग रैकेट में पुलिसकर्मियों की भी संलिप्तता आई सामने
देहरादून : किसी भी राज्य पुलिस में नशीले पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के लिए गठित राज्य पुलिस के “एंटी ड्रग टास्क फोर्स” और राज्य पुलिस के कुछ सिपाही ही संगठित रूप से “ड्रग गैंग” चलाते हैं. अमूमन किसी भी राज्य की पुलिस पर इस तरह का आरोप लगाते वक्त हर कोई सौ-सौ बार सोचेगा. उत्तराखंड पुलिस की तो अपनी ही स्पेशल टास्क फोर्स यानि STF ने इसे सही साबित कर दिया है. ड्रग तस्करों के साथ कुछ अपनों को ही गिरफ्तार करके.
इसकी पुष्टि शुक्रवार देर रात खुद राज्य के आला पुलिस अफसरों ने की है. उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड राज्य में अवैध रूप से नशे का व्यापार करने वाले अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए स्पेश्ल टास्क फोर्स के अधीन, “एंटी ड्रग्स टास्क फोर्स” का गठन किया गया है. राज्य एसटीएफ को काफी समय से सूचना मिल रही थी कि जनपद हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में नशा तस्करों द्वारा संगठित रूप से मादक पदार्थो की बिक्री की जा रही है.
8 लाख की स्मैक के साथ गिरफ्तार
इसी सूचना पर एसटीएफ और एडीटीएफ की जॉइंट टीम का गठन कर गोपनीय और तकनीकी सर्विलांस के माध्यम से सूचनाएं जुटाने का काम किया जाने लगा था. पुख्ता साक्ष्यों के मिलने के बाद पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ जवाहर लाल के नेतृत्व में टीमों का गठन कर अवैध मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्यवाही की गई. इस दौरान शुक्रवार को इन टीमों के हाथ राहिल निवासी कस्सावाल, ज्वालापुर के घर पर दबिश दी गई. छापे में राहिल को उसके घर से करीब 8 लाख की स्मैक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया.
गिरफ्तार अभियुक्त राहिल ने पूछताछ के दौरान बताया कि वो पिछले कुछ सालों से सत्तार जो कि, उसका रिस्तेदार भी है, के कहने पर उसके साथ मिलकर पिछले कुछ वर्षों से ड्रग्स की स्मगलिंग कर रहा है. साल 2017 में दोनों को एनडीपीएस एक्ट के मुकदमे में गिरफ्तार किया गया था. आरोपी राहिल से की गई पूछताछ से ये भी पता चला कि सत्तार को इस काले कारोबार में मदद करने के लिए कुछ पुलिसकर्मी फोन या व्यक्तिगत रूप से पुलिस की गोपनीय जानकारी और पुलिस छापों की जानकारी गैंग के सदस्यों को पहले ही दे देते थे.
ड्रग गैंग में मुखबिर तस्कर महिला
अभियुक्त राहिल ने पूछताछ के दौरान ये भी बताया कि हरिद्वार के थाना पथरी क्षेत्र में रहने वाले इरफान नाम के व्यक्ति से उसने 15 किलो स्मैक के लिए डील की थी. इस डील में रकम सत्तार को देनी थी. जबकि इस ड्रग को छोटी-छोटी मात्रा में ज्वालापुर-हरिद्वार के अलग-अलग इलाकों में इलाकाई तस्करों के जरिए बेचा जाना था. पूछताछ के आधार पर और तकनीकी सर्विलांस से प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर एसटीएफ ने बाकी अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी, जिसमें गैंग के सरगना सत्तार को रोहल्की थाना बहादराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया.
सत्तार ने कबूल किा कि इस ड्रग गैंग में गंगेश नाम की एक महिला भी शामिल है. महिला ड्रग तस्कर गंगेश पूर्व में उत्तरकाशी के नारकोटिक्स के एक अभियोग में 10 साल की सजायाफ्ता मुजरिम है. गंगेश ही ड्रग अड्डों पर पुलिस छापे की जानकारियां तस्करों तक लीक करती है. महिला ड्रग तस्कर गंगेश ने हरिद्वार जिले के ज्वालापुर थाने में तैनात उत्तराखंड पुलिस के कॉन्स्टेबल अमजद का नाम कबूला.
ड्रग तस्कर गैंग में शामिल थी महिला
महिला तस्कर ने कबूला कि जब भी इलाके में कहीं भी ड्रग तस्करों पर रेड की तैयारी चल रही होती थी तो सिपाही अमजद महिला तस्कर गंगेश को पहले ही इशारा कर देता था. जिससे वे लोग (ड्रग तस्कर) गायब हो जाते थे. पुलिस खाली हाथ लौट जाती थी. इससे पुलिस अपने मुखबिरों पर ही शक करती थी. पुलिस सोचती थी कि मुखबिरों ने गलत सूचना दी थी. जबकि हकीकत ये थी कि पुलिस वाले ही पुलिस की किरकिरी करा रहे थे. ताकि वे ड्रग तस्करों के संगठित गिरोह की मदद करके अपनी जेबें भरते रहें.
इसके अलावा हरिद्वार एडीटीएफ (एंटी ड्रग ट्रैफिकिंग फोर्स) में नियुक्त कॉन्स्टेबल रईसराजा एडीटीएफ टास्क फोर्स की किसी भी जानकारी की सूचना समय-समय पर देता रहता था. इसका भी खुलासा शुक्रवार देर रात उत्तराखंड राज्य पुलिस के एक अधिकारी ने टीवी9 से किया. बताया जाता है कि गिरफ्तार ड्रग तस्कर सत्तार ज्वालापुर थाने का हिस्ट्रीशीटर है. जिसके खिलाफ 38 मुकदमे दर्ज हैं, इनमें दो बार इसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया था. इस धंधे में सत्तार का बेटा शाहरुख भी शामिल था. शाहरुख 2019 में रुड़की थाने में दर्ज एक मामले में पहले भी गिरफ्तार हो चुका है. उस वक्त उसके कब्जे से व्यवसायिक मात्रा में हजारों नशीले इंजेक्शन मिले थे. वो अभी तक एक साल से जेल में है.
गैंग में मजबूत महिला गंगेश और कमजोर सिपाही
महिला तस्कर गंगेश ने पूछताछ के दौरान सिंडीकेट की मुख्य कड़ी होने की बात कबूल की है. गंगेश के घर पर क्षेत्राधिकारी सदर और एसटीएफ-एडीटीएफ टीम ने दबिश दी थी. छापे के दौरान उसके घर से 1.25 किलो चरस बरामद हुई. ये चरस गैंग तस्करों द्वारा फुटकर में बेची जानी थी. पूछताछ से महिला द्वारा पुलिस के अलग-अलग कार्यालयों में अपने सूत्रों से जानकारी लेकर गैंग के लोगों को जानकारी दी जाती थी. ये बात अब तक साफ हो चुकी है.
एकड़ पथरी के रहने वाले इरफान के बारे में भी अभियुक्त राहिल ने काफी कुछ कबूला था. पथरी निवासी इरफान को एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार किया. इरफान ने अलग-अलग जगहों से स्मैक और चरस इकट्ठा कर राहिल को उपलब्ध कराए जाने की बात स्वीकार की है. पता चला है कि पिछले दिनों 15 किलो स्मैक की डील होने के बारे में भी राहिल और इरफान को जानकारी थी. गिरफ्तार तस्करों से पूछताछ और नशे के इस काले कारोबार में शामिल लोगों के मोबाइल फोन के तकनीकी परीक्षण से सत्तार की पूर्ण रूप से संलिप्तता पाई गई.
ड्रग तस्करों के साथ दोनों सिपाही भी गिरफ्तार
उत्तराखंड पुलिस महानिरीक्षक नीलेश आनंद भरणे और एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह ने इन तमाम सनसनीखेज जानकारियों की टीवी9 भारतवर्ष से पुष्टि की है. उनके मुताबिक इस प्रकार के अपराध को ज्वालापुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों में संचालित किया जा रहा था. थाना ज्वालापुर में तैनात सिपाही अमजद और हरिद्वार एडीटीएफ में तैनात सिपाही रईसराजा तस्करों को खुलकर संरक्षण दे रहे थे. अब तक की तफ्तीश में ये बात साबित हो चुकी है. लिहाजा ड्रग तस्करों के साथ इन दोनों को भी एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है. आगे की तफ्तीश अभी जारी है. पता ये किया जाना है कि राज्य पुलिस के कहीं और सिपाही तो इस काले कारोबार में शामिल नहीं हैं
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