कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को दूसरी डोज के लिए करना होगा इंतजार
कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को दूसरी डोज के लिए करना होगा इंतजार
देहरादून: उत्तराखंड में भी कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों को अब दूसरी डोज के लिए अब लंबा इंतजार करना होगा। केंद्र सरकार ने देश के सभी प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र जारी किया है कि कोविडशील्ड वैक्सीन की दो डोज के बीच का अंतर कम से कम 12 से 16 सप्ताह रखा जाना चाहिए। अब तक यह छह से आठ सप्ताह का था। उत्तराखंड सरकार को भी केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की ओर से मिले पत्र में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समिति की नई सलाह की जानकारी दी है।
इस परिवर्तन से अब उत्तराखंड में भी उन तमाम लोगों कोविशील्ड वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए दोगुना इंतजार करना होगा। बता दें कि उत्तराखंड में 45 से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज अप्रैल माह में लगनी शुरू हुई थी। इसी आयु वर्ग के लिए टीकों की कमी हो गई है।
आसान नहीं होगा इस चुनती से पार पाना
अन्य कई राज्यों की तरह ही उत्तराखंड भी 45+ वर्ग के टीकों के लिए ग्लोबल टेंडर कर रहा है। अधिकारियों के मुताबिक इसमें समय को कम से कम करने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर कोविशील्ड प्रदेश में करीब तीन लाख लोगों को लगाई जा चुकी है और इन लोगों को अब दूसरी डोज लगनी है।
कई केंद्रों से बिना टीका लगवाए लौटे लोग
कोरोना के टीकाकरण को लेकर लगातार लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। कहीं टीके खत्म हो गए तो कहीं लोगों को ऑनलाइन स्लॉट बुक करने में दिक्कत आ रही है। बृहस्पतिवार को राजकीय एलोपैथिक अस्पताल राजपुर में बने टीकाकरण केंद्र में लोगों को टीका उपलब्ध न होने की वजह से लौटना पड़ा।
क्षेत्रीय पार्षद उर्मिला, सामाजिक कार्यकर्ता विशाल जैन और मुकेश सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा टीके की पर्याप्त व्यवस्था न करने की वजह से लोग परेशान हैं। उन्होंने व्यवस्था को सुधारने की मांग की है। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने बताया कि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री को एक पत्र भी भेजा गया है। पत्र में मांग की गई है कि बुजुर्गों के दूसरे टीकाकरण के साथ ही युवाओं को भी जल्द से जल्द टीके लगाए जाएं।
क्या सलाह दी है सलाहकार समिति ने?
देश में कोरोना के टीकाकरण के लिए गठित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) ने कोविशील्ड वैक्सीन के डोज के अंतराल को बढ़ाने और कोरोना से संक्रमित मरीजों को वैक्सीन लगाने के लिए समयावाधि के सुझाव दिए हैं।
कोरोना संक्रमित मरीजों को कब लगेगी वैक्सीन ?
समिति की सिफारिश के मुतबिक RT-PCR, RAT में कोरोना पॉजिटिव होने वाले लोगों को रिकवरी के 6 महीने बाद वैक्सीन दी जाए। अभी तक एक्सपर्ट्स रिकवरी के महीने भर बाद वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं।
भारत में कोविशील्ड की दूसरी डोज कब लगेगी?
समिति की सिफारिश के मुतबिक कोविशील्ड की दूसरी डोज 12 से 16 हफ्ते बाद लगाई जाए। अगर पहली डोज मार्च में लगी हो तो दूसरी डोज जुलाई या अगस्त में लगे।मार्च में, केंद्र सरकार ने कोविशील्ड की दो डोज के बीच 4-8 हफ्तों का वक्त रखने को कहा था। उससे पहले यह समयसीमा 4-6 हफ्ते थी।
विदेशों में कोविशील्ड की दो डोज के बीच कितना गैप रखते हैं?
द लैंसेट में छपी स्टडी के अनुसार, 12 हफ्तों के अंतराल पर कोविशील्ड की डोज देने पर उसका असर बढ़ जाता है। यूनाइटेड किंगडम और कनाडा में वैक्सीन की दूसरी डोज चार महीने बाद दी जा रही है।
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी का क्या कहना है?
भारत में अस्त्राजेनेका की वैक्सीन (कोविशील्ड) बना रहे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि अगर डोज के बीच दो-तीन महीने का अंतर हो तो वैक्सीन 90% तक असरदार हो जाती है।
कोवैक्सीन की दूसरी डोज का समय भी बदला है क्या?
नहीं, कोवैक्सीन के डोज इंटरवल में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीन कब?
पैनल ने कहा है कि गर्भवती महिलाओं को कोई भी वैक्सीन लेने की छूट दी जानी चाहिए। यह भी कहा गया कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को डिलिवरी के बाद किसी भी वक्त टीका लगा दिया जाना चाहिए।
इन सिफारिशों का अब क्या होगा?
NTAGI की ये सिफारिशें अब कोविड-19 वैक्सीन के लिए बने नैशनल एक्सपर्ट ग्रुप को भेजी जाएंगी। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अंतिम फैसला करेगा।
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‘इम्युनिटी रहने तक न दी जाए वैक्सीन’
NTAGI का मानना है कि कोविड से उबर चुके लोगों को तुरंत टीका लगाने की जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट पैनल के अनुसार, ऐसे लोगों के शरीर में कोविड-19 के खिलाफ ऐंटीबॉडीज मौजूद होती हैं जो उन्हें वायरस से सुरक्षा देती है। इम्युनिटी पीरियड के दौरान उन्हें वैक्सीन देना उसकी बर्बादी होगा।
देश पहले से ही कोविड वैक्सीन की किल्लत से जूझ रहा है। खासतौर से 18 साल से ऊपर वालों के लिए वैक्सीन का रास्ता खोलने के बाद पर्याप्त डोज उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में कोविड से रिकवर कर चुके मरीजों को बेहद कम खतरा देखते हुए पैनल ने उनके लिए टीकाकरण टालने का सुझाव दिया है।
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